पिछले एक दशक में भारत ने उद्यमिता के क्षेत्र में जो छलांग लगाई है वह अभूतपूर्व है। कभी लालफीताशाही और जटिल नीतियों के लिए बदनाम व्यवस्था, अब एक भरोसेमंद, पारदर्शी और स्टार्टअप फ्रेंडली इकोसिस्टम में बदल चुकी है। सरकार ने पुराने कानूनों को हटाकर और आधुनिक डिजिटल सिस्टम लागू कर निवेशकों और नवाचारकों के लिए राह आसान बना दी है।
स्टार्टअप्स को सबसे बड़ा फायदा टैक्स सुधारों से मिला है। “ईमानदार का सम्मान” जैसे प्लेटफॉर्म ने टैक्स प्रक्रिया को फेसलेस और निष्पक्ष बनाया। जुलाई 2024 में एंजेल टैक्स हटाना एक बड़ा कदम रहा जिससे स्टार्टअप्स को निवेश आसानी से मिलने लगा। साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए टैक्स में 35% की कटौती और जीएसटी लागू करने से कारोबारी माहौल काफी बेहतर हुआ।
डिजिटल इंडिया की सोच के तहत सरकार ने व्यापार में आसानी के लिए NSWS, SPICe+ और ICEGATE जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू किए। इनसे अब कंपनियों को सभी आवश्यक मंजूरियां एक ही जगह पर मिल जाती हैं। जन विश्वास अधिनियम, दिवाला कोड और श्रम सुधारों ने नियमों को सरल और व्यावहारिक बना दिया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो ‘PM गति शक्ति’ और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति ने देश की सप्लाई चेन को मजबूती दी है। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में तेजी से सुधार हुआ है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने MSMEs को भी सीधा लाभ पहुंचाया है। इन सभी प्रयासों का परिणाम है कि आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। यह सिर्फ आर्थिक आंकड़ों की कहानी नहीं है बल्कि एक भरोसेमंद, डिजिटल और नवाचार से भरे भविष्य की ओर बढ़ते भारत की तस्वीर है।