त्योहारों का मौसम केवल दीयों की रोशनी और मिठाइयों की मिठास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे कारोबार, रोजगार और बाजार की धड़कनों को भी तेज कर देता है।अक्टूबर, उत्तर प्रदेश की औद्योगिक जमीन के लिए वह महीना है जब खेत से लेकर फैक्ट्री और बाजार से लेकर निर्यात तक हर जगह रौनक और हलचल दिखाई देती है।
इस अंक की थीम “धान से घन तक यूपी की कृषि और त्योहारी अर्थव्यवस्था” है। हमने कोशिश की है कि इस बार पाठकों के सामने न सिर्फ दिवाली की खुमारी को औद्योगिक नजरिये से रखा जाए, बल्कि उन चुनौतियों और अवसरों को भी उजागर किया जाए जो हमारे उद्यमियों और मजदूरों की जिंदगी बदल रहे हैं।
कानपुर की लेदर फैक्ट्रियां, वाराणसी की सिल्क और सहारनपुर के पटाखा उद्योग ये सब केवल उत्पाद नहीं है, बल्कि हमारी मेहनत, हमारी संस्कृति और हमारे संघर्ष की पहचान हैं। इस बार अमेरिका के टैरिफ से लेकर यूरोप के ऑर्डर्स तक, और ग्रीन पटाखों से लेकर ई-कॉमर्स के नए रास्तों तक हर विषय को हमने जमीनी स्तर से खोजने की कोशिश की है।
हमारा विश्वास है कि यूपी का उद्यमी वर्ग हर चुनौती को अवसर में बदलना जानता है। यही जज्बा इस अंक के हर पन्ने में आपको दिखाई देगा। त्योहार का असली उत्सव वही है जो हमारी मेहनत को बाजार तक पहुंचाए और हमारे गांव से निकले उत्पाद को दुनिया तक ले जाए।
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