ईरान और इजरायल के बीच जारी सैन्य तनाव का असर भारत तक पहुंच सकता है, लेकिन फिलहाल इसकी तीव्रता सीमित रहने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यदि यह लड़ाई और गंभीर होती है, तभी भारत पर बड़ा आर्थिक असर देखने को मिल सकता है। सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
क्या हो सकता है असर?
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस संघर्ष के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है, जिससे भारत की ईंधन लागत बढ़ सकती है। इसके अलावा शेयर बाजार में गिरावट, रुपये की कमजोरी और मालवाहक जहाजों से सामान लाने-ले जाने का खर्च भी बढ़ सकता है।
हालात पर नजर: वित्त मंत्रालय और अन्य आर्थिक एजेंसियां बाजार की स्थिति पर करीबी नजर रख रही हैं।
शेयर बाजार में गिरावट और रुपया कमजोर
तनाव के बीच शुक्रवार को भारत के शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लगभग 0.7% गिर गए। निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए अपने पैसे सुरक्षित विकल्पों में लगा दिए। साथ ही, डॉलर के मुकाबले रुपया 0.6% गिरकर 86.09 के स्तर पर आ गया।
तेल की कीमतें उछलीं, फिर थमीं
इजरायल के हमले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत 12% उछलकर $78.5 प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। हालांकि, बाद में यह गिरकर $75 प्रति बैरल से नीचे आ गई, क्योंकि यह स्पष्ट हुआ कि इजरायल ने ईरान के तेल ठिकानों को नहीं, बल्कि परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया।
होर्मुज जलडमरूमध्य पर खतरा
अगर ईरान जवाबी कार्रवाई में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो यह वैश्विक आपूर्ति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। यह वही रास्ता है जहां से दुनिया का लगभग 20% तेल गुजरता है। बंद होने की स्थिति में शिपिंग और बीमा की लागत कई गुना बढ़ सकती है, जिससे भारत में पेट्रोल-डीजल और अन्य आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
भारत की स्थिति अभी स्थिर, लेकिन सतर्कता जरूरी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और वह ऐसे भू-राजनीतिक झटकों से निपटने में सक्षम है। फिर भी, सरकार सतर्क है और सभी मोर्चों पर नजर बनाए हुए है।”