लखनऊ। प्रदेश में एक बार फिर देश की सांस्कृतिक विविधता और शिल्प परंपरा का गवाह बना। खादी ग्राम उद्योग भवन, डालीबाग में फिक्की फ्लो (FICCI FLO) लखनऊ चैप्टर द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘कारीगर मेला 2025’ का रंगारंग आगाज हुआ। यह आयोजन न केवल प्रदेश की समृद्ध शिल्प विरासत का उत्सव है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक अहम पहल माना जा रहा है।
उद्घाटन और संदेश
मेले का शुभारंभ खादी एवं ग्रामोद्योग तथा एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा, “फिक्की फ्लो जैसे आयोजन कारीगरों को आर्थिक मजबूती देने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों को भी गहरा करते हैं। उत्तर प्रदेश की प्रतिभाओं को पहचान दिलाने और उन्हें बाजार उपलब्ध कराने में ऐसे मेलों की बड़ी भूमिका है।”
शिल्प और परंपरा का अद्भुत संगम
इस दो दिवसीय मेले में देशभर से आए शिल्पियों ने अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन किया। लखनऊ के चिकनकारी वस्त्र, अमेठी के मूंज उत्पाद, कन्नौज की प्राकृतिक सुगंधें और अवधी परंपरा के चांदी के जूते आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र बने। इसके साथ ही, बिहार की मधुबनी चित्रकला, राजस्थान की हड्डी पर नक्काशी, कश्मीर के ऊन और शॉल उत्पाद, उत्तराखंड के क्रोशिया वूलन आइटम्स और महाराष्ट्र व बंगाल के कांच के सजावटी उत्पादों ने भी लोगों का मन मोह लिया।
आधुनिक पैकेजिंग में परंपरा
मेले का विशेष आकर्षण रहा ‘उत्सव उपहार संग्रह’, जहाँ पारंपरिक हस्तशिल्पों को आधुनिक डिज़ाइन और पैकेजिंग के साथ प्रस्तुत किया गया। हर उत्पाद में कलात्मकता के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी झलक रहा था। यह पहल खासकर युवाओं और शहरी उपभोक्ताओं को जोड़ने का सफल प्रयास साबित हुई।
उपभोक्ताओं का उत्साह
दोनों दिनों मेले में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। लोग न केवल शिल्पकारों की कला को सराहते दिखे, बल्कि बड़े पैमाने पर खरीदारी भी की। यह इस बात का संकेत है कि आज का उपभोक्ता तेज़ी से हस्तनिर्मित, टिकाऊ और प्रामाणिक उत्पादों की ओर बढ़ रहा है।
कारीगरों के लिए बड़ा मंच
मेले में हिस्सा ले रहे शिल्पकारों ने बताया कि उन्हें राजधानी जैसे बड़े शहर में अपनी कला दिखाने का अवसर बहुत कम मिलता है। इस आयोजन ने न सिर्फ उन्हें आर्थिक लाभ दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाया। कई कारीगरों का कहना था कि यहां मिली पहचान उनके भविष्य के लिए नए दरवाजे खोलेगी।
महिलाओं की अगुवाई में सांस्कृतिक संवर्धन
फिक्की फ्लो (FICCI FLO) भारत की प्रमुख महिला व्यापारिक संस्था है, जो महिलाओं के नेतृत्व में सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में काम करती है। मेले में फ्लो की राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रमुख स्वाति वर्मा मौजूद रहीं। उन्होंने कारीगरों से संवाद किया और उनकी चुनौतियों व सुझावों पर चर्चा की।
इसके अलावा, फ्लो की पूर्व चेयरपर्सन आरुषि टंडन और विभा अग्रवाल भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं। आयोजन समिति की सक्रिय सदस्य सिमरन साहनी, देवांशी सेठ, स्मृति गर्ग, शमा गुप्ता, भावना अनिमेष और वनिता यादव समेत संस्था के 150 से अधिक सदस्य शामिल रहे।
शिल्प को स्थायी पहचान की ओर
‘कारीगर मेला 2025’ ने यह साबित किया कि यदि कारीगरों को सही मंच और सहयोग मिले तो वे अपनी कला से न केवल अपना जीवनस्तर सुधार सकते हैं, बल्कि भारत की पहचान को वैश्विक स्तर पर भी स्थापित कर सकते हैं।
आज का उपभोक्ता केवल कोई वस्तु नहीं खरीदना चाहता, बल्कि उस वस्तु के पीछे छिपी कहानी, परंपरा और आत्मा भी साथ ले जाना चाहता है। यही कारण है कि ऐसे आयोजन बाजार और संस्कृति—दोनों को जोड़ने में अहम साबित हो रहे हैं।
भविष्य
मेले की सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले वर्षों में और बड़े स्तर पर ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है। उम्मीद है कि फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर आगे भी व्यापक पैमाने पर ऐसे मेलों का आयोजन करेगा, जिससे स्थानीय शिल्प को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिल सके।