लखनऊ। हर 12 साल में आयोजित होने वाला प्रयागराज का महाकुंभ न केवल एक धार्मिक उत्सव होता है, बल्कि भारत की आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक ऊर्जा का जीवंत प्रतीक भी है। ऐसे ही पावन अवसर पर, इस बार राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR-NBRI) ने कुछ अलग सोचते हुए एक अनोखा नवाचार किया है। संस्थान ने कुंभ मेले के दौरान एकत्र किए गए पवित्र संगम जल से एक ऐसा इत्र तैयार किया है, जो तन-मन को शुद्ध करने के साथ वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा भरता है। इसे नाम दिया गया है – “फ्रोटस कुंभ”।
सुगंध, श्रद्धा और विज्ञान का त्रिवेणी संगम
NBRI के वैज्ञानिकों का कहना है कि फ्रोटस कुंभ सिर्फ एक इत्र नहीं, बल्कि विज्ञान, परंपरा और आध्यात्मिकता का सुंदर मेल है। इस इत्र को बनाने में प्रयागराज के संगम से जुटाए गए प्रसंस्कृत पवित्र जल, बेलपत्र का सुगंधित तेल, तुलसी और अन्य औषधीय वनस्पतियों का उपयोग किया गया है। इसे बनाने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि यह परफ्यूम न सिर्फ सुगंध देता है, बल्कि एक आत्मिक अनुभव भी कराता है। बेलपत्र की हर्बल खुशबू, तुलसी की शुद्धता और संगम जल की ऊर्जा मिलकर एक ऐसा वातावरण रचते हैं जो मन को शांत और वातावरण को पावन बना देता है।
कुंभ मेले की अमृत बूंदों का इत्र में परिवर्तन
प्रयागराज महाकुंभ में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिनों तक करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे थे। कई लोगों ने वहां का पवित्र जल बोतलों में भरकर घर लाने की कोशिश की, ताकि इस अमृत को सहेज सकें। अब यही भावना फ्रोटस कुंभ इत्र के रूप में पूरी हो रही है। NBRI के जनसंपर्क अधिकारी रजत रस्तोगी के अनुसार, उनके पास 25 लीटर पवित्र संगम जल संरक्षित है, जिसे केवल उसी कंपनी को दिया जाएगा जो इस टेक्नोलॉजी को अपनाकर इसे बाजार में लाएगी। यह न केवल उत्पाद की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करेगा बल्कि पवित्रता का भी प्रतीक रहेगा।
कैसे खास है ‘फ्रोटस कुंभ’?
आज बाजार में ‘गंगा जल’ या ‘कुंभ जल’ जैसे कई उत्पाद मिलते हैं, लेकिन NBRI का दावा है कि फ्रोटस कुंभ उनसे एकदम अलग है। इसमें है:
बेलपत्र का शुद्ध तेल: जो शांति और संतुलन लाता है।
तुलसी का अर्क: वातावरण को शुद्ध करने में सहायक।
प्रसंस्कृत संगम जल: जो इसे आध्यात्मिक गहराई देता है।
बेलपत्र की खुशबू तीव्र नहीं होती, लेकिन यह आयुर्वेदिक अरोमा थेरेपी में बेहद उपयोगी मानी जाती है। तुलसी के पत्तों की मौजूदगी इसे धार्मिक और चिकित्सीय दोनों दृष्टि से मूल्यवान बनाती है।
वैज्ञानिक तकनीक से बना जल-तेल का मिश्रण
आम तौर पर जल और तेल आपस में नहीं मिलते, लेकिन NBRI की वैज्ञानिक टीम ने आधुनिक परफ्यूमरी तकनीक का इस्तेमाल करके इसे संभव बनाया। उन्होंने बेलपत्र के तेल को अन्य हल्के फ्लोरल सुगंधों के साथ मिलाकर इसे एक गहरी, पर संतुलित और सौम्य खुशबू दी।
भारत के विविध समुदायों को जोड़ेगा इत्र
NBRI के निदेशक डॉ. एके शासनी का कहना है कि यह इत्र भारत के हर वर्ग और समुदाय को जोड़ने वाला है, क्योंकि इसमें शामिल हैं – भारत की वनस्पतियों की सुगंध, महाकुंभ का पवित्र जल और आस्था की गहराई। यह एक ऐसा प्रयास है जो विज्ञान को जन-जन की श्रद्धा से जोड़ता है। इस परियोजना में डॉ. शासनी के साथ डॉ. आलोक लेहरी, डॉ. एमएम पांडेय और अन्य वैज्ञानिकों ने मिलकर एक अद्भुत शोध किया है।
आने वाले समय में बाजार में उपलब्ध होगा
इस इत्र का पेटेंट करा लिया गया है और अब इसे बाजार में लाने के लिए कंपनियों से बातचीत चल रही है। कई प्रतिष्ठित कंपनियों ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में रुचि दिखाई है। आने वाले कुछ महीनों के अंदर एक बोतल में बंद सुगंध, श्रद्धा और विज्ञान का संगम यानी फ्रोटस कुंभ इत्र आम जनता तक पहुंचेगा।