Rabi season 2025-26 भारतीय कृषि के लिए बेहद उत्साहजनक संकेत दे रहा है। खेती का दायरा इस बार उम्मीद से कहीं ज्यादा बढ़ा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 5 दिसंबर 2025 तक रबी फसलों के तहत कुल बुआई क्षेत्र 479 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच चुका है। यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा, किसानों की आय और उत्पादन क्षमता को नया भरोसा देने वाला संकेत है। पिछले साल इसी अवधि में यह क्षेत्रफल 451.12 लाख हेक्टेयर था यानी इस बार लगभग 27.89 लाख हेक्टेयर की उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की गई है।
गेहूं की बुआई ने दिखाया दम, सबसे बड़ी छलांग
इस सीजन में अगर किसी फसल ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, तो वह है – गेहूं। देशभर के किसान इस बार गेहूं की खेती को लेकर काफी सक्रिय दिखे। मंत्रालय के अनुसार, अब तक 241.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया जा चुका है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 217.81 लाख हेक्टेयर था। यानी गेहूं की खेती में लगभग 23.6 लाख हेक्टेयर की ऐतिहासिक बढ़त। यह बढ़त साफ संकेत देती है कि भारत में इस बार गेहूं का कुल उत्पादन बेहतर रहने वाला है, जिससे घरेलू बाजार में स्थिरता आएगी और महंगाई पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
चावल की बुआई भी बढ़ी, किसान दिखे सक्रिय
रबी सीजन में चावल की खेती भी तेजी पकड़ती दिख रही है। इस बार 10.98 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई की गई है, जबकि पिछली बार यह क्षेत्र 9.86 लाख हेक्टेयर था। भले ही बढ़ोतरी बहुत बड़ी न हो, लेकिन यह संकेत जरूर देती है कि भारत की चावल उत्पादन क्षमता लगातार बेहतर हो रही है और किसान रबी सीजन में भी चावल की विशेष किस्मों पर जोर दे रहे हैं।
दलहन की बुआई: हल्की बढ़त लेकिन उम्मीदें मजबूत
दलहन की बात करें तो इस साल कुल 106.21 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है। यह संख्या पिछले साल के 105.78 लाख हेक्टेयर के मुकाबले मामूली ही सही, पर सकारात्मक बढ़त दिखाती है। दलहन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चने ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है। चने की खेती 77.84 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष 75.16 लाख हेक्टेयर थी।
उड़द ने भी बेहतर प्रदर्शन किया और यह अब 1.84 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जबकि पिछले साल यह 1.67 लाख हेक्टेयर था। ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में दालों के उत्पादन को लेकर स्थिरता बनती जा रही है।
श्री अन्न और मोटे अनाज की चमक बरकरार
साल 2023 के बाद से भारत में ‘श्री अन्न’ यानी मिलेट्स को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ी है। इसी का असर रबी सीजन में भी साफ दिख रहा है। श्री अन्न श्रेणी की फसलों का कुल क्षेत्रफल 36.28 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है।
- रागी: 0.46 से बढ़कर 0.64 लाख हेक्टेयर
- छोटा बाजरा: 0.09 से बढ़कर 0.12 लाख हेक्टेयर
- मक्का: 11.41 लाख हेक्टेयर (पिछले साल से बेहतर)
- जौ: 5.95 लाख हेक्टेयर (पिछले वर्ष 5.68)
ये बढ़ोतरी दर्शाती है कि किसान अब मोटे अनाज को ज्यादा महत्व दे रहे हैं, क्योंकि ये फसलें कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं और पोषण के लिहाज से भी बेहद मूल्यवान मानी जाती हैं।
तिलहन में भी उछाल, सरसों से उम्मीदें बढ़ीं
तिलहन के लिए इस बार 84.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र उपयोग हुआ है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक है। सरसों जैसी तिलहन फसलों की यह बढ़त स्पष्ट इशारा करती है कि किसानों को इस साल बेहतर भाव की उम्मीद है और बाजार में तिलहन की मांग भी लगातार बढ़ रही है।
उत्पादन बढ़ेगा, किसानों की आय भी
कुल मिलाकर, इस बार रबी फसलों के अंतर्गत बढ़ा हुआ क्षेत्र एक सकारात्मक आंकड़ा होने के साथ आने वाले समय में देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला संकेत है। अधिक क्षेत्र में बुआई का मतलब है – ज्यादा उत्पादन, किसानों की आय बढ़ेगी, खाद्य महंगाई पर नियंत्रण होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। रबी सीजन की यह बढ़त बताती है कि भारत का कृषि क्षेत्र परंपरा और भविष्य की संभावनाओं का आधार भी है।