भारत में जब भी आराम और नींद की बात होती है, तो एक नाम हर किसी के ज़ेहन में आता है – sleepwell, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस ब्रांड के पीछे एक महिला उद्यमी की संघर्ष और दूरदर्शिता की कहानी है।
शुरुआत – एक महिला की दूरदृष्टि
सन् 1971 में, उत्तर प्रदेश की शीला गौतम ने “Sheela Foam” की नींव रखी। उस दौर में फोम और मैट्रेस इंडस्ट्री लगभग न के बराबर थी, और घरेलू बाजार में रूई के गद्दों का ही दबदबा था। शीला गौतम ने सोचा कि भारत में आराम और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एक आधुनिक समाधान होना चाहिए। इसी सोच ने “Sleepwell” ब्रांड को जन्म दिया।
संघर्ष – जब लोगों को भरोसा नहीं था
शुरुआत आसान नहीं थी। लोगों को फोम मैट्रेस की आदत नहीं थी। वे मानते थे कि रूई का गद्दा ही सबसे टिकाऊ है। लेकिन शीला गौतम ने हार नहीं मानी।
• उन्होंने रिसर्च पर ज़ोर दिया।
• प्रोडक्ट क्वालिटी पर कोई समझौता नहीं किया।
• और धीरे-धीरे ग्राहकों को यह यकीन दिलाया कि “फोम” भी टिकाऊ और आरामदायक हो सकता है।
टर्निंग पॉइंट
1980-90 के दशक तक Sleepwell ने भारतीय बाजार में पकड़ बना ली। कंपनी ने डीलर नेटवर्क, विज्ञापन और भरोसेमंद आफ्टर-सेल सर्विस पर काम किया। “Sleepwell – आराम की नई परिभाषा” स्लोगन ने ग्राहकों को जोड़ने का काम किया।
सफलता – देश से विदेश तक
आज Sleepwell न सिर्फ़ भारत बल्कि 40 से ज्यादा देशों में मौजूद है।
• 20,000 से अधिक रिटेल आउटलेट्स
• 12+ फैक्ट्रियां
• 3,000 से ज्यादा कर्मचारी
• और ₹3,000 करोड़ से अधिक का सालाना टर्नओवर
Sleepwell सिर्फ़ मैट्रेस ही नहीं, बल्कि कुशन, पिलो, बेडिंग एक्सेसरीज़ और फोम प्रोडक्ट्स में भी मार्केट लीडर है।
सबसे बड़ी उपलब्धि
एक गृहिणी और समाजसेविका से उद्योगपति बनीं शीला गौतम ने यह साबित कर दिया कि अगर विज़न साफ़ हो और मेहनत सच्ची हो, तो भारत में महिला उद्यमी भी आराम और सपनों का साम्राज्य खड़ा कर सकती हैं।
सफलता का सबक
• बाज़ार की कमी को पहचानो।
• गुणवत्ता से समझौता मत करो।
• ग्राहक के भरोसे को हमेशा प्राथमिकता दो।
स्लीपवेल की कहानी इस बात का जीता-जागता सबूत है कि एक छोटे विज़न से भी अरबों का साम्राज्य खड़ा किया जा सकता है।