लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तकनीकी शिक्षा को नई दिशा देने की बड़ी पहल की गई है। अब राज्य के 121 राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों को आधुनिक सुविधाओं से लैस “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” में बदला जाएगा। इसके लिए राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह काम टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड (TTL) के सहयोग से किया जाएगा।
पहले चरण में 45 कॉलेजों का होगा कायाकल्प
इस महत्वाकांक्षी योजना का पहला चरण 45 पॉलिटेक्निक कॉलेजों के अपग्रेडेशन से शुरू होगा। खास बात यह है कि यह कदम ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है। उन्हें न केवल आधुनिक तकनीक से पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा, बल्कि रोजगार और उद्यमिता के नए रास्ते भी खुलेंगे।
स्मार्ट क्लासरूम और हाईटेक लैब्स की सुविधा
टाटा टेक्नोलॉजी इन कॉलेजों में स्मार्ट क्लासरूम, अत्याधुनिक तकनीकी लैब्स और उन्नत मशीनों की व्यवस्था करेगी। इससे छात्रों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी मिलेगी। वे स्मार्ट ऑटोमेशन, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, एडवांस डिजाइनिंग जैसी नई तकनीकों में दक्ष बनेंगे।
स्टार्टअप और इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा
यह पहल सिर्फ नौकरियों तक सीमित नहीं होगी। इन अपग्रेडेड संस्थानों में छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए तकनीकी और व्यवसायिक मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। इससे प्रदेश में नवाचार और उद्यमिता को नई उड़ान मिलेगी।
टाटा और सरकार मिलकर करेंगे निवेश
हर पॉलिटेक्निक संस्थान को औसतन 57.32 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिनका उपयोग मशीनों और तकनीकी संसाधनों की स्थापना में किया जाएगा। कुल अनुमानित खर्च 6935.86 करोड़ रुपये है, जिसमें से 87% (6034.20 करोड़ रुपये) टाटा टेक्नोलॉजी खर्च करेगी। बाकी 13% (1063.96 करोड़ रुपये) प्राविधिक शिक्षा विभाग उठाएगा। इसके अलावा, सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए हर कॉलेज को 7.09 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
एक साल में पूरा होगा काम
कार्यादेश जारी होने के बाद एक वर्ष के भीतर ये सभी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार हो जाएंगे। यह योजना न सिर्फ शिक्षा का स्तर ऊंचा करेगी, बल्कि यूपी को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।