किराए पर रहना या घर खरीदना? एक्‍सपर्ट से जानिए सबसे बेहतरीन फैसला

Industrial Empire
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आजकल भारत में मकान खरीदना आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल हो गया है। इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने हाल ही में लिंक्डइन पर एक पोस्ट में इस पर अपनी राय साझा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि क्यों शहरों में मकान खरीदना अब आम नागरिक के लिए लगभग नामुमकिन जैसा हो गया है। आहूजा ने बताया कि अगर हम भारत में मकानों के प्राइस टू इनकम (P2I) रेशियो को देखें – यानी मकान खरीदने के लिए हमें अपनी कितनी साल की कमाई देनी होती है – तो शहरों में यह औसतन 11 है। इसका मतलब है कि एक सामान्य व्यक्ति को अपने पूरे 11 साल की कमाई मकान खरीदने में खर्च करनी होगी। अब, अगर आप मानते हैं कि आपकी 50% कमाई रोजमर्रा के खर्चों में चली जाती है, तो इसका मतलब है कि आपको मकान खरीदने के लिए 20 साल से भी ज्यादा की बचत करनी होगी। यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि शहरों में संपत्ति की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि आम आदमी के लिए इसे खरीदना बेहद कठिन हो गया है।

सार्थक आहूजा ने यह भी बताया कि ऐसे में जो लोग मकान खरीदने का सपना देख रहे हैं, उन्हें अपनी वित्तीय योजना को नए तरीके से सोचना होगा। इसलिए आहूजा ने कुछ सुझाव भी दिए हैं, जैसे कि निवेश की अन्य संभावनाओं पर ध्यान देना, लंबी अवधि के लिए बजट तैयार करना, और प्रॉपर्टी खरीदने से पहले वित्तीय स्थिति का सही आकलन करना। इस तरह के हालात में, किसी के लिए भी मकान खरीदना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य बन चुका है, और यही वजह है कि अधिकतर लोग अब किराए पर रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

आहूजा का कहना है कि भारत में मकानों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें एक प्रमुख कारण है कि यहां के बिल्डिंग के नियम बहुत पुराने हैं। इसके अलावा, डेवलपर्स जानबूझकर बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करते हैं, जिससे कीमतें और भी बढ़ जाती हैं। साथ ही, रियल एस्टेट अब काले धन को निवेश करने का एक प्रमुख साधन बन गया है। उनका सुझाव है कि मकान तभी खरीदें जब आप कम से कम 50% डाउन पेमेंट कर सकें और आपकी ईएमआई आपकी कुल आमदनी के 35% से अधिक न हो। अगर ऐसा नहीं हो सकता, तो बेहतर होगा कि आप किराए पर रहें और अपनी आय को बढ़ाने पर ध्यान दें। इसके अलावा, मेट्रो शहरों के बजाय टियर-2 शहरों में निवेश करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि वहां संपत्ति की कीमतें कम हैं और भविष्य में विकास की अधिक संभावनाएं भी हैं।

मकान खरीदने में आने वाली रूकावट

  • भारत के पुराने बिल्डिंग नियम : भारत में फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स (FSI) बहुत कम है। अधिकतर मेट्रो शहरों में एफएसआई 1.3 से 3.5 के बीच है, जिसका मतलब है कि यहां बिल्डिंग की ऊंचाई कम हो पाती है। इसके कारण, उतने ही लोगों को रहने के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत होती है। वहीं, अगर हम अमेरिका की बात करें तो वहां का औसत FSI 15 है और सिंगापुर में यह 25 है। FSI का मतलब है कि आपकी ज़मीन पर आप कितनी ऊंची बिल्डिंग बना सकते हैं।
  • रियल एस्टेट में काले धन की भूमिका : आहूजा के अनुसार, भारत में रियल एस्टेट का एक बड़ा हिस्सा काले धन से चलता है। उन्होंने कहा, “यह कहा जाता है कि मुंबई में 20% जमीन केवल 10 से भी कम परिवारों के पास है। और आधी मुंबई सिर्फ 500 परिवारों के पास है।” इसका मतलब है कि कुछ लोगों के पास बहुत ज्यादा ज़मीन है, जिससे संपत्ति की कीमतें लगातार बढ़ती रहती हैं।
  • डेवलपर्स का काला खेल : आहूजा का कहना है कि प्राइवेट डेवलपर्स एक ‘गंदा खेल’ खेलते हैं। वे 100 यूनिट्स के प्रोजेक्ट में से केवल 5 यूनिट्स बेचते हैं, ताकि बाजार में कमी का दिखावा कर सकें और कीमतें बढ़ा सकें। फिर, वे अगली 5 यूनिट्स 10% अधिक कीमत पर बेचते हैं। इस तरह से, मांग का दिखावा बना रहता है और कीमतें लगातार बढ़ती रहती हैं।

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