भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी रोज़ी-रोटी के लिए खेती पर निर्भर हैं। लेकिन आज भी हमारे किसान कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। खासकर बीज से जुड़ी समस्याएं उनकी खेती की उत्पादकता, आत्मनिर्भरता और आमदनी पर सीधा असर डालती हैं। बीज केवल फसल की शुरुआत नहीं होता, यह किसान की मेहनत, उसकी उम्मीदों और भविष्य की नींव भी होता है। इसलिए बीज की कमी या गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएं केवल तकनीकी नहीं होतीं, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक संकट भी पैदा कर सकती हैं।
इसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) की स्थापना की गई है। यह संस्था 25 जनवरी 2023 को गठित हुई और 21 मार्च 2023 को इसका राजपत्र प्रकाशित किया गया। इसका ब्रांड नाम “भारत बीज” और टैगलाइन “सहकार से समृद्धि” है। बीबीएसएसएल के सहकारी सेवाओं के प्रमुख, डॉ. जे.पी. सिंह ने बताया कि भारत बीज केवल एक ब्रांड नाम नहीं है, यह हमारे किसानों की एकता, मेहनत और समृद्धि का प्रतीक है। इसका उद्देश्य किसानों को अच्छे और भरोसेमंद बीज उपलब्ध कराना है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बनाया जा सके।
“भारत बीज” पहल किसानों को नई ऊर्जा और उम्मीद देने का काम कर रही है, ताकि हर खेत में उगें सुनहरे सपने।
बीज का संकट, किसान की पीड़ा
आज भी देश के करोड़ों किसान अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की कमी, समय पर बीज न मिलना और सही दाम न मिलने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बुवाई का समय आते ही अगर किसान को सही बीज नहीं मिलता, तो उसकी मेहनत और उम्मीद दोनों पर पानी फिर जाता है। इसका असर सिर्फ उसकी आमदनी पर नहीं, बल्कि पूरे देश की कृषि उत्पादन क्षमता पर पड़ता है।
बीज उत्पादन में किसानों की भागीदारी बहुत सीमित है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह लगभग नहीं के बराबर है। इसकी वजह है, संसाधनों की कमी, तकनीकी जानकारी का अभाव और बाज़ार तक सीधी पहुंच न होना। जो किसान प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) से जुड़े हुए हैं, उन्हें भी बीज उत्पादन या नई कृषि तकनीकों का पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। नतीजतन, वे न तो आत्मनिर्भर बन पाते हैं और न ही उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ा पाते हैं।
अच्छा बीज, अच्छी फसल
आज भी देश के कई किसान परंपरागत बीजों और खेती की पुरानी पद्धतियों पर निर्भर हैं, क्योंकि उन्हें बीज क्षेत्र में हो रही तकनीकी प्रगति और उन्नत किस्मों की जानकारी नहीं है। इन उन्नत बीजों की जानकारी और उपलब्धता तक उनकी पहुंच सीमित होने के कारण उनकी फसल की उत्पादकता पर असर पड़ता है और आमदनी में बढ़ोतरी भी नहीं हो पाती है। भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) सिर्फ एक बीज उत्पादन और विपणन संस्था नहीं है, बल्कि यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सहकारी सेवाओं के प्रमुख डॉ. जे.पी. सिंह ने बताया कि BBSSL सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के सहयोग से बीज उत्पादन का एक मजबूत और व्यापक ढांचा तैयार करेगी। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को बीज उत्पादन की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करना है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी के साथ आत्मसम्मान भी मिल सके। बीबीएसएसएल का फोकस न केवल वर्तमान में गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराना है, बल्कि परंपरागत बीजों के संरक्षण और नई किस्मों के अनुसंधान व विकास पर भी है। यह संस्था किसानों को आधुनिक तकनीकों, प्रशिक्षण और बाज़ार तक सीधी पहुंच भी उपलब्ध कराएगी, जिससे किसान पूरी खेती प्रक्रिया में मज़बूती से आगे बढ़ सकें।
किसानों की नई उम्मीद भारत बीज
भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) ने किसानों और सहकारी समितियों के हित को ध्यान में रखते हुए लाभ वितरण की एक पारदर्शी और स्पष्ट योजना तैयार की है। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा और सही दाम मिले। किसानों को उनके बीज उत्पादन का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या बाजार मूल्य, इनमें से जो भी अधिक होगा, उस पर अतिरिक्त 10% बोनस के साथ दिया जाएगा। इसके अलावा, बीज उत्पादन से जो भी शुद्ध लाभ होगा, उसका कम से कम 80% हिस्सा सीधे किसानों को दिया जाएगा।
सभी सदस्य सहकारी समितियों को उनकी दी गई अंश पूंजी पर अधिकतम 20% तक लाभांश भी प्रदान किया जाएगा, जिससे वे भी इस व्यवस्था से लाभान्वित हों। BBSSL की बढ़ती लोकप्रियता और भरोसे का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि 31 मार्च 2025 तक देश के 24 राज्यों की 20,300 से अधिक सहकारी समितियाँ इसकी सदस्य बन चुकी हैं। यह योजना न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भरता और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी।