केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम’ (ECMS) के दिशा-निर्देश और उसका पोर्टल लॉन्च किया। इस योजना के लिए सरकार ने कुल ₹22,919 करोड़ का बजट तय किया है। योजना का कार्यकाल छह साल का होगा, जो फाइनेंसियल ईयर 2025-26 से शुरू होकर 2031-32 तक चलेगा। इसमें एक साल का गेस्टेशन पीरियड (तैयारी अवधि) भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स का घरेलू उत्पादन बढ़ाना, बड़े निवेश को आकर्षित करना और भारतीय कंपनियों को वैश्विक सप्लाई चेन से जोड़ना है। यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को और मजबूती देगी।
लॉन्च कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को मजबूत बनाने के लिए सरकार की रणनीति के बारे में चरणबद्ध तरीके से बताया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में भारत ने तैयार उत्पादों (Finished Goods) की असेंबली पर ध्यान केंद्रित किया ताकि बड़े पैमाने पर उत्पादन का आत्मविश्वास हासिल किया जा सके। इसके बाद भारत ने मॉड्यूल निर्माण, कंपोनेंट निर्माण और अब मटीरियल प्रोडक्शन की दिशा में प्रगति की है। वैष्णव ने बताया, फिनिश्ड गुड्स के वैल्यू चेन में 80 से 85 प्रतिशत योगदान होता है। इस क्षेत्र में भारत ने अब तक ‘अद्भुत’ पैमाने पर सफलता प्राप्त की है।
देश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने पिछले एक दशक में शानदार प्रगति की है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन पांच गुना बढ़ा है, जबकि निर्यात में छह गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि निर्यात का चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (CAGR) 20 प्रतिशत से ज्यादा रही है, वहीं उत्पादन का CAGR 17 प्रतिशत से अधिक रहा है। वैष्णव ने यह भी कहा कि मोबाइल फोन, सर्वर, लैपटॉप और आईटी हार्डवेयर जैसे बड़े क्षेत्रों में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे भारत को भविष्य में और बड़ी सफलता हासिल करने का मजबूत आधार मिल रहा है।
ECMS: इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा नई दिशा और रफ्तार
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेंट्स और सिस्टम्स (ECMS) योजना सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह औद्योगिक पावर और ऑटोमोटिव सेक्टर्स को भी मजबूत करेगी। उन्होंने बताया कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का एक मजबूत इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है।
वैष्णव ने इनोवेशन और क्वालिटी पर जोर देते हुए कंपनियों से अपनी खुद की डिजाइन क्षमताओं को बढ़ाने और सिक्स सिग्मा स्तर तक गुणवत्ता सुनिश्चित करने की अपील की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो कंपनियां निर्धारित गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरेंगी, उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाएगा। सरकार का उद्देश्य भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और मात्रा दोनों में प्रतिस्पर्धी बनाना है।
मंत्री ने यह भी बताया कि भारत अब डेटा-आधारित तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उनके अनुसार, AI कोश में अब तक 350 डाटासेट अपलोड किए जा चुके हैं, और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) द्वारा विकसित चार AI टूल्स जल्द ही लॉन्च किए जाएंगे। इसके साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम को और तेज़ी से बढ़ाने के लिए टेक्नो-लीगल फ्रेमवर्क भी तैयार किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा भी की गई है। भारत के पहले देशी AI फाउंडेशनल मॉडल को बनाने के लिए ‘सर्वम AI’ का चयन किया गया है, जिसे देश की AI क्षमताओं के विकास में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।