new tariff line
केंद्र सरकार ने 1 मई से चावल के निर्यात के लिए नई टैरिफ लाइन व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया है। वाणिज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने संसद में इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई टैरिफ लाइन चावल के विभिन्न प्रकारों और प्रक्रियाओं पर आधारित होगी, जैसे प्री-बॉयल्ड चावल और अन्य प्रकार, साथ ही जीआई टैग प्राप्त बासमती चावल और अन्य किस्मों पर भी लागू होगी।
इस बदलाव से चावल निर्यात में सुधार की उम्मीद है और विशेषकर बासमती चावल उत्पादकों को फायदा हो सकता है। सरकार का मानना है कि इससे निर्यात में पारदर्शिता बढ़ेगी और भारतीय चावल के वैश्विक बाजार में स्थान को मजबूती मिलेगी। नई टैरिफ लाइन व्यवस्था के तहत, विभिन्न चावल किस्मों के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित की जाएंगी, ताकि उनके निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
गर्मी का फसल पर असर
राज्यसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि गेहूं की उपज और अनाज की गुणवत्ता पर बढ़ते तापमान और गर्मी के तनाव का आकलन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल द्वारा एक अध्ययन किया गया था। 2021-22 में, जब गर्मी का प्रभाव अधिक था, तब एनडब्ल्यूपीजेड और उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र (एनईपीजेड) में किए गए अध्ययन से कुछ महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए थे।
इस अध्ययन में यह पाया गया कि 2020-21 के मुकाबले एनडब्ल्यूपीजेड में अधिकतम तापमान में 5.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई। इसके कारण उच्च तापमान के तनाव की स्थिति में औसत उपज में 5.6 प्रतिशत का नुकसान हुआ। यह दर्शाता है कि बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि पर गंभीर हो सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां गेहूं और अन्य फसलों की उपज पर तापमान का सीधा असर पड़ता है। सरकार और संबंधित संस्थाएं इस पर और अध्ययन कर रही हैं ताकि किसानों को इस समस्या से निपटने के लिए उचित मार्गदर्शन और उपाय दिए जा सकें।
भारत के 10 राज्यों में उगाए जाने वाले चावल
वाणिज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने एक लिखित जवाब में कहा, “इस नए फैसले से 20 से अधिक जीआई (जियोग्राफिकल इंडीकेशंस) चावल की किस्मों को फायदा होगा, जिन्हें ‘जियोग्राफिकल इंडीकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999’ के तहत मान्यता प्राप्त है। ये चावल भारत के 10 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उगाए जाते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि नए टैरिफ आइटम सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 में संशोधन करके बनाए गए हैं, और ये 29 मार्च, 2025 को पास हुए वित्त अधिनियम 2025 के माध्यम से प्रभावी होंगे।
यह कदम भारतीय चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे जीआई चावल की किस्मों के लिए विशेष लाभ सुनिश्चित होगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि भारतीय चावल की वैश्विक पहचान को भी मजबूती मिलेगी। जीआई टैग प्राप्त चावल, जैसे कि बासमती, को विशेष मान्यता प्राप्त है, जो उनके विशिष्ट गुणों को पहचानने में मदद करती है। इस नई नीति से भारत को अपने चावल के निर्यात में और अधिक मजबूती मिल सकती है, खासकर उन देशों में जहां भारतीय चावल की मांग लगातार बढ़ रही है।