Close-up of stacked opened fresh green peas with water droplets.

मध्य प्रदेश के मटर और सिंघाड़े को GI टैग, कृषि उत्पादों को मिलेगी नई पहचान

मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की प्रसिद्ध मटर और सिंघाड़े को जल्द ही GI टैग मिलने की संभावना है।

Industrial Empire
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मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की प्रसिद्ध मटर और सिंघाड़े को जल्द ही भौगोलिक संकेत यानि कि (GI) टैग मिलने की संभावना है। इस पहचान से इन उत्पादों की बिक्री और विपणन में काफी वृद्धि हो सकती है, जिससे स्थानीय किसानों को सीधा फायदा होगा। इसके अलावा, जीआई टैग से इन उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी बेहतर पहचान मिलेगी, जिससे इनकी मांग बढ़ेगी और किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा। इस कदम से क्षेत्रीय कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

मैकलसुता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक राघवेंद्र सिंह पटेल और प्रगतिशील किसान धनंजय पटेल ने बताया कि हाल ही में नाबार्ड भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग के लिए चर्चा की गई। यह बैठक पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क्स के महानियंत्रक और भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री, चेन्नई के नेतृत्व में हुई। इस बैठक में प्रदेशभर से आए आवेदकों ने अपने उत्पादों की विशिष्टताएँ और खासियत प्रस्तुत की। बैठक में कृषि और उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

जबलपुरी मटर और सिंघाड़े को जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग दिलाने की प्रक्रिया में जिला प्रशासन, कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग ने महत्वपूर्ण मदद की। सुनवाई के दौरान इन उत्पादों की विशेषताएँ और महत्व को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया। जबलपुर के पाटन क्षेत्र की मटर और सिहोरा का सिंघाड़ा न केवल एशिया में प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनका बड़े पैमाने पर निर्यात भी किया जाता है। इसी के साथ ये दोनों फसलें आसपास के किसानों के लिए उनके जीवनयापन के मुख्य आय स्रोत भी हैं। जो उनके आर्थिक समृद्धि में अहम भूमिका निभाती हैं।

प्रगतिशील किसानों का कहना है कि जीआई टैग मिलने के बाद जबलपुर की मटर और सिंघाड़े के उत्पादन और विपणन को नई दिशा मिलेगी। सिहोरा की सिंघाड़ा मंडी और जबलपुर की मटर मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में मानी जाती हैं, लेकिन अब तक इन उत्पादों को केवल क्षेत्रीय पहचान मिली है, जबकि वैश्विक स्तर पर इनकी मान्यता नहीं हो पाई है। जीआई टैग मिलने के बाद किसानों को अपनी फसलों का बेहतर मूल्य मिलेगा और क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इस कदम से न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

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