हिमाचल प्रदेश में किसानों को मटर की उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं। जुन्गा तहसील के सिरमौर सीमा से पहाड़ी मटर अब राज्य भर की विभिन्न मंडियों में पहुंच रही है, और इस बढ़ती मांग से किसान खुश हैं। हाल ही में मटर की कीमतों में उछाल आया है, इसके साथ ही सोलन और ढली सब्जी मंडियों में मटर की औसत कीमत 40 से 45 रुपये प्रति किलो के आसपास रही। इस बढ़ी हुई कीमत से किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
इसके अलावा, मटर की इस बढ़ी हुई कीमत ने किसानों को उत्साहित किया है और वे अब ज्यादा क्षेत्र में मटर की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पहाड़ी मटर की गुणवत्ता और स्वाद की वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ौतरी हो रही है, जिससे राज्य के कृषि क्षेत्र में नई संभावनाएं और अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। किसानों का मानना है कि इस प्रकार की कीमतें न केवल उनके लिए आर्थिक लाभ का कारण बनेंगी, बल्कि राज्य की कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसलिए उन्हें अब इस बात का भरोसा है कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और आने वाले समय में उनकी आय में और भी वृद्धि हो सकती है।
इस साल सर्दियों में कम बारिश होने की वजह से मटर की फसलों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। जुन्गा क्षेत्र के किसान दयाराम वर्मा और प्रीतम ठाकुर ने बताया कि सूखी सर्दियों के चलते इस बार की फसल की उपज सामान्य रही। दरअसल, इस मौसम में बारिश की कमी ने फसल की वृद्धि पर हानिकारक असर डाला, जिसके कारण उत्पादन में गिरावट आई। दिलचस्प बात यह है कि मटर की फसल सामान्य से लगभग दो सप्ताह पहले ही तैयार हो गई, जो इस मौसम की असामान्यता को अच्छे से दर्शाता है। हालांकि, किसान अब बारिश का इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि वह अपनी अगली फसल के लिए सही परिस्थितियाँ और व्यवस्था बना सकें। वहीँ, इस अनियमित मौसम का असर आगामी फसलों पर भी पड़ सकता है, जिससे किसानों को आगे और चुनौतियाँ का सामना करना पड़ सकता है।
मटर की उपज से खुश किसान
किसान मटर की उपज से खुश हैं, और साथ ही अच्छे दामों से भी संतुष्ट हैं। कृषि विभाग ने मशोबरा ब्लॉक क्षेत्र के किसानों को एचपीएम-1 किस्म के मटर के बीज सब्सिडी पर उपलब्ध कराकर उन्हें महत्वपूर्ण सहायता दी है। आमतौर पर 130 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत वाले इन बीजों को अब 80 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दर पर प्रदान किया गया है, जिससे किसानों को आर्थिक राहत मिली है। इस पहल ने किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली मटर की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है, और उनकी आय में भी वृद्धि की संभावना है। कृषि विभाग की इस मदद से किसान अब बेहतर उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश में मटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है और यहां की मटर बाजारों में देर से आती है, जिससे यह अच्छे दामों पर बिकती है। यही वजह है कि उत्तरी राज्यों में मटर का सीजन समाप्त हो जाने के बावजूद, बाजारों में मटर की सप्लाई जारी है। यह सप्लाई मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश से आ रही है, और अप्रैल में इसके और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस स्थिति का लाभ स्थानीय किसानों को मिल रहा है, क्योंकि उन्हें अपनी फसल का अच्छा मूल्य मिल रहा है। इसके अलावा, मटर की लंबी सप्लाई से देशभर में उपभोक्ताओं को ताजगी और गुणवत्तापूर्ण मटर का मिलना जारी रहेगा, जो बाजारों में मटर की कमी को दूर करेगा।