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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > क्या बोतलबंद पानी आपके लिए सेफ हैं?
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क्या बोतलबंद पानी आपके लिए सेफ हैं?

बोतलबंद पानी को 'मिनरल वॉटर' समजह जाता हैं।

Industrial Empire
Last updated: 24/03/2025 12:15 PM
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आमतौर पर हम बोतल के पानी को टैप वॉटर से ज्यादा सुरक्षित मानते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (CSE) के अनुसार, पीने के पानी में पेस्टिसाइड्स की मात्रा 0.0001 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। CSE की 2003 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, बोतलबंद पानी की बोतलों में 36.4 गुना ज्यादा पेस्टिसाइड्स पाया गया, जबकि मुंबई में यह आंकड़ा 7.2 गुना ज्यादा था। हालांकि, विदेशों से आयातित बोतलबंद पानी में ऐसी कोई कमी नहीं पाई गई। तो क्या इसका मतलब ये है कि देश में तैयार होने वाले बोतलबंद पानी में साफ पानी के स्टैण्डर्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हैं?

इसका दूसरा सबसे बड़ा मिथ ये है कि बोतलबंद पानी को ‘मिनरल वॉटर’ समझना। असल में, मिनरल वॉटर वह पानी होता है जो पहाड़ी इलाकों के प्राकृतिक स्रोतों से लिया जाता है, और इसकी कीमत भी नार्मल पानी के मुकाबले ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए आपको बता दें, हिमालयन ब्रांड का मिनरल वॉटर 55 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है। वहीं, सामान्य पैक्ड पानी में फिल्टर किया गया ग्राउंड वॉटर होता है, जिसकी कीमत 15-20 रुपये प्रति लीटर होती है। ऐसे पानी में आमतौर पर प्राकृतिक मिनरल्स नहीं होते, लेकिन कई कंपनियां इसे बेचते समय पानी में मिनरल्स वर्ड जरूर जोड़ देती हैं, और नार्मल बोतलों पर भी यह दावा किया जाता हैं।

कई इलाकों में पानी की सप्लाई कम होने या पानी में गंदगी होने की वजह से लोग पानी खरीद कर पीते हैं। ज्यादातर लोग सीधा 20 लीटर की बड़ी पानी की बोतल खरीद लेते हैं। ताकि कुछ बार-बार पानी न खरीदना पड़े। फिलहाल, 20 लीटर पानी की बोतल की कीमत 40-70 रुपये के बीच होती है। और तो और इन बड़ी प्लास्टिक बोतलों को सप्लायर कई बार इस्तेमाल करते हैं, और अक्सर इन्हें ठीक से साफ भी नहीं किया जाता। हालांकि, कुछ बड़ी कंपनियां ऐसी भी है जो साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखती हैं। बता दें, बोतल की गंदगी के अलावा, पानी की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। दरअसल, इन बोतलों में आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) से साफ किया हुआ पानी भरा जाता है, जिस पर डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) भी सवाल उठा चुका है। यह सच है कि आरओ प्रक्रिया से पानी के सारे मिनरल्स निकल जाते हैं, और इसके परिणामस्वरूप लंबे समय में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि कि (इम्यूनिटी) में कमी आ सकती है।

इस मुद्दे पर इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के सचिव जनरल का कहना है कि आरओ के इस्तेमाल से पानी से मिनरल्स निकल जाते हैं, जिसकी वजह से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। हालांकि, यह अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि लंबे समय तक आरओ का उपयोग करने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, क्योंकि इस पर कोई ठोस डेटा उपलब्ध नहीं है। वहीं, आजकल जो नई तकनीक के आरओ सिस्टम आ रहे हैं, वे टीडीएस (टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स) यानी मिनरल्स के बैलेंस को बनाए रखते हैं। जिनके पास पुराने आरओ सिस्टम हैं, उन्हें भी घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि प्रदूषित पानी पीने से बेहतर है कि वे आरओ से साफ किया हुआ पानी पीएं और सेहतमंद बने रहें।

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