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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > देश में पहली बार मिली गुच्छी मशरूम की खेती को सफलता
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देश में पहली बार मिली गुच्छी मशरूम की खेती को सफलता

नवीन पटवाल ने गुच्छी मशरूम को उगाने में सफलता हासिल की।

Industrial Empire
Last updated: 27/03/2025 6:07 AM
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मशरूम की हजारों किस्म दुनियाभर में पायी और उगाई जाती हैं। लेकिन जिस मशरूम को उगाने में वैज्ञानिकों को भी सफलता नहीं मिल पाई, उसी गुच्छी मशरूम को भारत में उगाने का कमाल उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के कोट ब्लॉक निवासी एक युवा ने किया है। नवीन पटवाल पिछले दो सालों से इस मशरूम का ट्रायल कर रहे थे और अब जाकर उनका यह ट्रायल सफल हो गया है। जिसकी चर्चा हर तरफ जोरो-शोरो से हो रही है। इतना ही नहीं इस युवा ने मशरूम की पहली खेप को तैयार कर बाजार में भी पहुंचा दी है।

नवीन पटवाल ने बताया कि दिसंबर 2024 में गुच्छी मशरूम को उगाने की शुरुआत हुई थी और तीन महीने बाद ही परिणाम मिलना शुरू हो गया है। इसी के साथ नवीन बताते हैं कि गुच्छी मशरूम को कम तापमान वाले जगह पर उगाया जाता है। जिससे कि लंबे समय तक इसकी खेती आराम से कि जा सके। नवीन ने कहा कि शुरुआत में उनको गुच्छी मशरूम उगाने में काफी कठिनाई आई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार कोशिश करते रहे, जिसके बाद उन्हें सफलता मिली। आज नवीन इसी गुच्छी मशरूम कि खेती के जरिये अच्छा- खासा मुनाफा कमा रहे हैं। भविष्य में वह इससे भी बड़े स्टार पर गुच्ची मशरूम को उगाना चाहते हैं।

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. मनजीत ने हाल ही में फलदाकोट में उगाई जा रही गुच्ची मशरूम केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि यह मशरूम, जिसे युवा आईटी पेशेवर नवीन पटवाल ने उगाया गया है, यह महंगी मशरूमों में से एक है। साल 2009 में सोलन में इसकी व्यावसायिक खेती के लिए प्रोजेक्ट भी चलाए गए थे, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगती थी।

गुच्छी मशरूम उगाना अपने आप में ही बहुत बड़ी बात है। क्योंकि बाजार में इसका बहुत अच्छा दाम मिलता है। इसी के साथ औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण बाजार में इसकी कीमत 40 से 50 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है। भारत में ऐसा पहली बार हुआ हैं कि गुच्छी मशरूम कि खेती सफलतापूर्वक हुई हैं। इससे पहले गुच्ची मशरूम की खेती चीन और फ्रांस ही करते थे। लेकिन अब भारत भी इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर हैं।

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