किसानी में बदलाव ही तरक्की का रास्ता है। जो किसान नए तरीकों और तकनीकों को अपनाते हैं, वे निश्चित रूप से सफल होते हैं। यह कहना कि खेती से अच्छा मुनाफा नहीं हो सकता, एक अधूरा सच है। असल में, कई किसान खेती में नए प्रयोग करके अपनी सफलता की नई कहानियां लिख रहे हैं। आजकल के समय में, जहां एक ओर पारंपरिक खेती में लाभ कम होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नर्सरी व्यवसाय और आधुनिक कृषि पद्धतियां किसानों के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर रही हैं।
इसका एक बेहतरीन उदाहरण राजस्थान के गंगानगर जिले के प्रगतिशील किसान हरीश चन्द्र कासनिया हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती की जगह नर्सरी व्यवसाय को अपनाया और अपनी आय में इजाफा किया। हरीश चन्द्र ने न केवल नर्सरी में पौधों की बिक्री से अच्छा मुनाफा कमाया, बल्कि अपनी मेहनत और आधुनिक तकनीकों के जरिए इस व्यवसाय को और बढ़ाया। उनका मानना है कि आज के किसान को खुद को बदलते हुए समय के साथ ढालना चाहिए ताकि वह बेहतर मुनाफा कमा सके और खेती को एक स्थिर व्यवसाय बना सके। इससे यह भी साबित होता है कि अगर किसान नई सोच और मेहनत से काम करें तो खेती से जुड़ी कई नई संभावनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
किसानी में बदलाव और नये तरीके
हरीश कासनिया के पास पर्याप्त कृषि भूमि थी, लेकिन पारंपरिक खेती से उन्हें वह आय नहीं मिल रही थी, जो वह चाहते थे। इसी दौरान उन्हें राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का मौका मिला, जहां उन्होंने खेती के नए और लाभकारी तरीकों के बारे में जाना। इस प्रशिक्षण ने उनके मन में नर्सरी व्यवसाय शुरू करने का विचार पैदा किया, क्योंकि उन्होंने देखा कि बागवानी करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या अच्छी गुणवत्ता वाली नर्सरी पौधों की कमी की है। इस मांग को उन्होंने एक अवसर के रूप में देखा और नर्सरी बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया।
हाईटेक नर्सरी से खेती में तरक्की
इसके बाद, हरीश कासनिया ने नींबू की नर्सरी से अपना व्यवसाय शुरू किया। अब वे लाखों नींबू के पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं। उनका कहना है कि 4-5 साल के पौधों को बाग में लगाने से फल जल्दी लगने लगते हैं। इसके अलावा, वे किन्नू, खजूर, माल्टा, इज्जाफा, थाई एप्पल, बेर और अमरूद जैसे फलों के पौधों की नर्सरी भी तैयार करते हैं।
अपनी नर्सरी को और भी आधुनिक बनाने के लिए, हरीश ने इज़राइल से एक अत्याधुनिक मशीन खरीदी है। यह मशीन नर्सरी के पौधों के लिए पानी, खाद और वातावरण का स्वचालित रूप से नियंत्रण रखती है। इस नई तकनीक के इस्तेमाल से पौधों की गुणवत्ता में सुधार होता है और अधिक फल मिलते हैं। यह मशीन पानी के पीएच और ईसी स्तर को नियंत्रित करती है, जिससे पानी और खाद की बचत होती है। इसमें एक कंप्यूटर सिस्टम भी है, जो हर पौधे की जरूरत के हिसाब से संसाधनों का प्रबंधन करता है। पॉलीहाउस में नमी ज्यादा होने पर फॉगर अपने आप बंद हो जाता है और नमी कम होने पर अपने आप चालू हो जाता है, जिससे पौधों को सही वातावरण मिलता है और उनकी वृद्धि में भी बढ़ौतरी होती है।
खेती में सुधार, चमकी किस्मत
मात्र 15 साल में हरीश कासनिया ने अपने खेतों का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया और अब वे औषधीय और जैविक खेती के साथ-साथ बागवानी भी करते हैं। इस सफलता के दौरान, हरीश को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी दिया गया है। इसी के साथ आज उनकी मासिक आय लगभग 5 लाख रुपये है। हरीश का दृढ़ विश्वास है कि अगर किसान सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठाएं, तो बागवानी और खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। सरकार द्वारा बागवानी के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं, जैसे तारबंदी, ड्रिप इरिगेशन, पाइपलाइन बिछाना, फार्म पांड का निर्माण आदि।
इन योजनाओं का सही तरीके से उपयोग करके किसान अपने व्यवसाय को फायदे में बदल सकते हैं। हरीश मानते हैं कि किसानों में बेहतर खेती और बागवानी की समझ विकसित करना इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर एक बार जब वो इससे होने वाले फायदे के बारे में समझ गए तो इसे अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे। वहीँ,हरीश की इस सफलता ने किसानों के बीच नर्सरी व्यवसाय के प्रति रुचि बढ़ाई है। उनकी इस सफलता ने यह साबित किया है कि सही दिशा में बदलाव और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करने से कोई भी किसान अपनी किस्मत बदल सकता है। हरीश की तरह, यदि अन्य किसान भी मेहनत, समर्पण और सही जानकारी के साथ कदम बढ़ाएं, तो वे भी अपनी खेती को लाभकारी बना सकते हैं और अपने जीवन को संवार सकते हैं।