मकान खरीदना एक बड़ा और अहम फैसला होता है। खासकर पहली बार घर खरीदने वालों के लिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि वे इससे जुड़े सभी वित्तीय पहलुओं को ठीक से समझें और जानें। अक्सर देखा गया है कि लोग घर खरीदने के लिए होम लोन का सहारा लेते हैं। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने कहा है कि मकान खरीदना आपकी वित्तीय सुरक्षा को मज़बूत करता है। लेकिन, होम लोन लेते समय इसके चलने वाले लंबे समय के असर को भी समझना बेहद ज़रूरी है। लोन की किस्तें कई सालों तक चलती हैं और इस दौरान ब्याज के रूप में आप मूल राशि से कहीं ज़्यादा पैसा चुका देते हैं। इसका मतलब ये है कि जिस घर की कीमत 50 लाख थी, वह आपको ब्याज समेत करीब 80-90 लाख तक पड़ सकती है।
ज़्यादातर लोग लोन लेकर ही मकान खरीदते हैं। हालांकि इससे आपकी एक स्थायी संपत्ति तो बनती है, लेकिन इसके साथ कई छिपे हुए खर्चे भी आते हैं—जैसे रजिस्ट्रेशन फीस, स्टांप ड्यूटी, मेंटेनेंस चार्ज, प्रॉपर्टी टैक्स आदि। ये सब मिलाकर कुल खर्च उम्मीद से कहीं ज़्यादा हो सकता है। इसलिए मकान खरीदने से पहले न सिर्फ प्रॉपर्टी की कीमत, बल्कि लोन की शर्तें, ब्याज दर, कुल भुगतान, और अन्य जुड़े खर्चों की भी पूरी जानकारी जरूर ले लें। तब जाकर यह फैसला आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
CA नितिन कौशिक के अनुसार, अगर आप 1 करोड़ रुपये का मकान खरीदते हैं और इसके लिए 20 साल का होम लोन लेते हैं, तो आपको करीब 2.16 करोड़ रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। इस रकम में मूलधन के साथ-साथ ब्याज भी शामिल होता है। यानी आप जितनी कीमत पर घर खरीदते हैं, लोन के जरिए वही घर आपको दोगुने से भी ज्यादा कीमत पर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती करियर में या जब आप किसी शहर में कुछ साल के लिए रह रहे हों, तब मकान खरीदने के बजाय किराए पर रहना ज्यादा समझदारी वाला फैसला हो सकता है।
किराए पर रहने के फायदे:
- मासिक खर्च कम होता है, क्योंकि सिर्फ किराया देना होता है, ईएमआई नहीं।
- कहीं भी जल्दी शिफ्ट होने की सुविधा रहती है — खासकर अगर नौकरी या काम के सिलसिले में शहर बदलना हो।
- आप जो पैसे ईएमआई में खर्च करते, उसे आप बचाकर दूसरे निवेशों (जैसे म्यूचुअल फंड, SIP, शेयर मार्केट या बिजनेस) में लगा सकते हैं, जो बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
- प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटेनेंस और रेनोवेशन जैसे खर्चों से भी राहत मिलती है।
हालांकि, मकान खरीदने का फायदा यह है कि वह आपकी स्थायी संपत्ति बनता है, लेकिन अगर आपने जल्दबाज़ी में या बिना सही जानकारी के लोन ले लिया, तो यह लंबे समय तक आपकी आर्थिक स्थिति पर बोझ बन सकता है। इसलिए फैसला लेने से पहले अपने मौजूदा खर्च, भविष्य की ज़रूरतें और निवेश के विकल्पों को अच्छी तरह से समझना जरूरी है।
90% लोग लोन लेकर घर खरीदते हैं
नेशनल हाउसिंग बैंक की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 90% से ज्यादा लोग मकान खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं। लोन लेकर मकान तो बन जाता है, लेकिन इसकी असली कीमत बहुत ज्यादा हो जाती है — खासकर जब ब्याज और बाकी खर्चों को भी शामिल किया जाए। अक्सर लोग सिर्फ मकान की बेस प्राइस यानी उसकी मार्केट वैल्यू पर ध्यान देते हैं, लेकिन लोन से जुड़ी दूसरी लागतों को समझ नहीं पाते हैं। बता दें, सबसे बड़ा छुपा हुआ खर्च होता है होम लोन पर लगने वाला ब्याज। अगर लोन की अवधि लंबी है, तो आप मूल रकम से कहीं ज्यादा ब्याज चुका देते हैं।
इसके अलावा, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, प्रोसेसिंग चार्ज, प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटेनेंस और इंटीरियर जैसे खर्चे भी कुल लागत को काफी बढ़ा देते हैं, जो आमतौर पर खरीदारी के समय ध्यान में नहीं लिए जाते। इसलिए सिर्फ घर की कीमत नहीं, बल्कि कुल खर्चों और लंबी अवधि के असर को समझना भी जरूरी है। एक समझदार फैसला वही होता है जिसमें आप अपने बजट, ज़रूरत और भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखकर घर खरीदें।
होम लोन के नाम पर जेब खाली
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक और नाइट फ्रैंक के सर्वे के मुताबिक, घर खरीदते समय कई तरह के अन्य खर्च सामने आते हैं, जिनका अंदाज़ा पहले से लगाना जरूरी होता है। आमतौर पर कानूनी फीस प्रॉपर्टी की कीमत का लगभग 0.75% होती है। वहीं, बड़े शहरों में ब्रोकरेज फीस 1% से 1.5% तक जा सकती है। इसके अलावा, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज मिलाकर कुल खर्च 6% तक पहुंच सकता है।
अगर आप होम लोन ले रहे हैं, तो उसमें भी एक अन्य खर्च जुड़ा हुआ रहता है — प्रोसेसिंग फीस, जो लोन की राशि का 0.5% से 1% तक हो सकती है। इन सब खर्चों को मिलाकर जब लोग कुल रकम देखते हैं, तो अक्सर चौंक जाते हैं। ज्यादातर लोग सिर्फ मकान की कीमत तक ही ध्यान देते हैं, लेकिन ये छुपे हुए या अन्य खर्च भी कुल बजट को काफी बढ़ा देते हैं। इसलिए घर खरीदने से पहले सभी खर्चों की पूरी जानकारी लेना और उन्हें प्लान में शामिल करना बहुत जरूरी है।
CA नितिन कौशिक ने कहा, अगर आप ₹1 करोड़ का घर खरीदते हैं और 20 साल के लिए लोन लेते हैं, तो हर महीने ₹90,000 की EMI चुकाते हैं। इस हिसाब से आपको उस ₹1 करोड़ के घर के लिए ₹2 करोड़ से ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि घर खरीदने से ज्यादा समझदारी अक्सर किराए पर रहना हो सकता है। खासकर अगर आप करियर के शुरुआती दौर में हैं या किसी नए शहर में काम कर रहे हैं।