भारत में स्टार्टअप का दौर तेजी से बढ़ रहा है। अब लोग पारंपरिक 9 से 6 की नौकरी छोड़कर अपने बिज़नेस आइडिया पर काम कर रहे हैं और खुद का स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं। इसी बदलाव के बीच राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने भी एक बड़ा कदम उठाया है। नाबार्ड ने अपने पहले एग्री-फिनटेक निवेश के रूप में 24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में 10% इक्विटी हिस्सेदारी खरीदी है। यह निवेश कितनी राशि में हुआ है, इसका खुलासा नहीं किया गया है।

यह स्टार्टअप डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को आसान और तेज़ लोन उपलब्ध कराने में मदद करता है। इस साझेदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल कृषि लोन सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को वित्तीय सहायता तक पहुंच और भी सरल हो जाएगी। यह कदम न केवल एग्री-फिनटेक सेक्टर को मजबूती देगा, बल्कि ग्रामीण भारत में आर्थिक सुधार की दिशा में भी एक अहम पहल साबित हो सकता है।
बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप क्या है?
24×7 मनीवर्क्स एक बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप है, यानी इसने बिना किसी बाहरी निवेश के अपने संसाधनों से शुरुआत की है। इस स्टार्टअप का प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ईकिसानक्रेडिट’ (ईकेसीसी) है, जो पूरी तरह से एक डिजिटल कृषि ऋण प्रक्रिया प्रणाली है। ईकेसीसी प्लेटफॉर्म आधार, ई-केवाईसी, भूमि रिकॉर्ड और बैंकों की कोर बैंकिंग सिस्टम से जुड़ा हुआ है। इसकी मदद से किसान बिना किसी कागजी प्रक्रिया के, सीधे अपने मोबाइल या अन्य डिजिटल माध्यम से लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और आसान है – खासकर उन किसानों के लिए जो ग्रामीण या दूर-दराज़ इलाकों में रहते हैं।
इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य ग्रामीण भारत में किसानों को तकनीक के माध्यम से सशक्त बनाना है ताकि वे समय पर और बिना भागदौड़ के कृषि ऋण प्राप्त कर सकें। नाबार्ड द्वारा इस स्टार्टअप में निवेश करना यह दिखाता है कि अब संस्थाएं भी डिजिटल कृषि समाधानों की संभावनाओं को गंभीरता से ले रही हैं।
आसान होगी लोन प्रक्रिया
पिछले ढाई वर्षों से नाबार्ड इस डिजिटल ऋण प्रणाली का परीक्षण कर रहा था। परीक्षण के सफल परिणामों के बाद अब नाबार्ड इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है। यह पहल खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है। 24×7 मनीवर्क्स के साथ हुई इस साझेदारी के जरिए किसानों को तेज़, पारदर्शी और समावेशी (सबको साथ लेकर चलने वाली) ऋण सेवाएं मिलने की उम्मीद है। अब किसान बिना बैंक की लंबी कतारों में लगे, डिजिटल माध्यम से सीधे लोन के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस सिस्टम के जरिए किसानों को न केवल समय पर लोन मिल सकेगा, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। यह पहल देश में कृषि क्षेत्र को डिजिटल और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
कृषि ऋण सेवा में सुधार
नाबार्ड के चेयरमैन शाजी के. वी. ने कहा, “ईकेसीसी (ई-किसान क्रेडिट) ने यह साबित किया है कि यह प्रणाली कृषि ऋण को अधिक सुलभ, पारदर्शी और प्रभावी बना सकती है। यह साझेदारी सहकारी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को ग्रामीण भारत के किसानों की बेहतर तरीके से सेवा देने में सक्षम बनाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि यह पहल देश के किसानों को समय पर और आसान तरीके से ऋण उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह कदम सरकार के डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को भी मजबूती देगा, खासकर ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देने में। इसके ज़रिए न केवल किसानों को सशक्त बनाया जाएगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार मिलेगी। इस डिजिटल व्यवस्था से किसानों की बैंकिंग प्रक्रिया में लगने वाला समय और झंझट दोनों कम होंगे, जिससे वे खेती पर ज़्यादा ध्यान दे सकेंगे और आर्थिक रूप से आगे बढ़ पाएंगे।