भारत का ऑटो कंपोनेंट (वाहन पुर्जा) उद्योग फाइनेंसियल ईयर 2025-26 में 7 से 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। यह अनुमान क्रिसिल रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है। दोपहिया वाहनों और SUV जैसी यात्री गाड़ियों की मजबूत घरेलू मांग इस ग्रोथ को बढ़ावा देगी।
घरेलू मांग बनी रहेगी प्रमुख सहारा

रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहिया और यूटिलिटी व्हीकल्स (SUV) सेगमेंट इस उद्योग के कुल राजस्व में लगभग 50% का योगदान देते हैं। इनकी बढ़ती बिक्री से ऑटो पुर्जा कंपनियों को मजबूती मिलने की संभावना है। FY25 में इस सेक्टर का कुल राजस्व 7.9 लाख करोड़ रुपये रहा था, जिसमें क्रिसिल द्वारा आकलित ऑटो कंपोनेंट कंपनियों की हिस्सेदारी लगभग 35% रही।
कमर्शियल वाहन और ट्रैक्टर से भी हल्का समर्थन
वाणिज्यिक वाहन (CV) और ट्रैक्टर श्रेणी, जो कुल राजस्व का करीब 17% योगदान देती है, उसमें भी मामूली सुधार देखा जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों श्रेणियों में डिमांड में सुधार से ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री को अतिरिक्त समर्थन मिलेगा।
आफ्टरमार्केट से भी उम्मीदें कायम
15% राजस्व हिस्सेदारी रखने वाली आफ्टरमार्केट श्रेणी में 5-7 % की स्थिर वृद्धि का अनुमान है। पुरानी गाड़ियों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी और रिप्लेसमेंट डिमांड इस वृद्धि को प्रेरित करेगी।
निर्यात मोर्चे पर कुछ चुनौतियां
हालांकि, वैश्विक बाजारों में चुनौतियां बरकरार हैं। अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में नए वाहनों की कमजोर मांग के कारण भारत के ऑटो कंपोनेंट निर्यात पर असर पड़ सकता है। भारत से होने वाले ऑटो पुर्जों के कुल निर्यात का 60% अमेरिका और यूरोप को जाता है। ऐसे में इस साल निर्यात वृद्धि दर धीमी होकर 7-8% तक रह सकती है।
ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए FY26 में सकारात्मक संकेत
घरेलू बाजार में SUV और दोपहिया वाहनों की मजबूत मांग और आफ्टर मार्केट की स्थिरता भारत के ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए FY26 में सकारात्मक संकेत दे रही है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर सुस्ती निर्यात को प्रभावित कर सकती है, इसलिए कंपनियों को घरेलू अवसरों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत होगी।