दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं जैसे ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जब एक मंच पर आती हैं तो वैश्विक शक्ति-संतुलन पर असर तो पड़ता ही है। लेकिन अब जब ब्रिक्स में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया जैसे नए देशों की एंट्री हो चुकी है, तो अमेरिका की चिंता और भी बढ़ गई है। इसी पृष्ठभूमि में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कड़ा संदेश दिया है, जो भी देश ब्रिक्स की नीतियों का समर्थन करेगा, उस पर 10 प्रतिशत या उससे ज्यादा का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन चल रहा है और ब्रिक्स की ओर से जारी साझा घोषणा में अमेरिका का नाम लिए बिना उसकी व्यापार नीति की तीखी आलोचना की गई। इसमें कहा गया कि जबरन टैरिफ लगाना वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचाता है और सप्लाई चेन को बाधित करता है।
ट्रंप का दो टूक संदेश
ट्रंप ने कहा है – “कोई भी देश जो ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीति से जुड़ता है, उस पर 10 फीसदी से अधिक का टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें किसी को कोई छूट नहीं मिलेगी।” ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने 12 देशों के लिए टैरिफ नोटिफिकेशन तैयार कर लिए हैं जो सोमवार को दोपहर 12 बजे जारी किए जाएंगे। दरअसल अप्रैल 2025 में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के तमाम ट्रेडिंग पार्टनर्स के लिए टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी। ग्लोबल फीडबैक को देखते हुए इसे 90 दिनों के लिए रोका गया था, लेकिन वह रोक अब 9 जुलाई को खत्म हो रही है। ऐसे में ट्रंप दोबारा टैरिफ बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।
पीएम मोदी का कड़ा संदेश
दूसरी ओर, ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंच का उपयोग करते हुए आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों में हो रहे आतंकी हमलों पर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी आलोचना की और पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक संस्थाओं में कई बदलाव की जरूरत है। भारत मानवता के लिए हमेशा खड़ा रहा है और अब समय है कि दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी हो।
ब्रिक्स बनाम अमेरिका
ट्रंप का यह टैरिफ युद्ध ब्रिक्स के विस्तार के जवाब में एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है। ब्रिक्स धीरे-धीरे न केवल आर्थिक गठजोड़ बन रहा है बल्कि यह पश्चिमी वर्चस्व को चुनौती देने का मंच भी बनता जा रहा है। ऐसे में अमेरिका की यह धमकी बताती है कि वह अब हर उस देश को निशाने पर लेगा जो उसके आर्थिक एजेंडे के खिलाफ खड़ा होगा।
विश्व राजनीति की दिशा
ब्रिक्स और अमेरिका के बीच टकराव अब नीतियों और भाषणों तक सीमित नहीं रहा। टैरिफ, ब्लॉक पॉलिटिक्स और वैश्विक मंचों पर खुली बयानबाजी बता रही है कि आने वाला समय विश्व राजनीति की नई दिशा तय करेगा। अब देखना ये है कि दुनिया के देश किस पाले में खड़े होते हैं? अमेरिका या ब्रिक्स के बढ़ते प्रभाव के साथ।