अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाली नई टैरिफ दरों की घोषणा करते हुए ट्रंप प्रशासन ने 7 नए देशों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया है। इसके साथ ही हाल ही में घोषित 14 अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले ने दुनिया के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या अमेरिका फिर से व्यापार संरक्षणवाद (trade protectionism) की राह पर चल पड़ा है?
इन देशों पर गिरा टैरिफ का हथौड़ा
नई लिस्ट में शामिल सात देशों में से अल्जीरिया, ईराक, लीबिया और श्रीलंका पर सीधे 30 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वहीं फिलीपींस पर 20 फीसदी, ब्रुनेई और मोल्दोवा पर 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा हुई है। ये शुल्क उन सभी उत्पादों पर लागू होंगे जो इन देशों से अमेरिका में आयात किए जाते हैं।
टैरिफ लिस्ट:
अल्जीरिया – 30%
ईराक – 30%
लीबिया – 30%
श्रीलंका – 30%
मोल्दोवा – 25%
ब्रुनेई – 25%
फिलीपींस – 20%
ब्राजील पर सबसे बड़ा झटका
इन देशों के अलावा ट्रंप ने सबसे बड़ा झटका ब्राजील को दिया है। उन्होंने 1 अगस्त से ब्राजील के सभी आयातित उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक आधिकारिक पत्र साझा करते हुए कहा कि ब्राजील में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में है। उन्होंने जेयर बोल्सनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे की निंदा की और उसे “अस्वीकार्य राजनीतिक साजिश” बताया। ट्रंप ने इसे अमेरिकी मूल्यों पर हमला बताते हुए इस कदम को सही ठहराया।
पहले ही लग चुके हैं 14 देशों पर टैक्स
कुछ ही दिन पहले ट्रंप प्रशासन ने 14 अन्य देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इस सूची में एशिया और अफ्रीका के प्रमुख देश शामिल हैं, जैसे कि बांग्लादेश, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका, बोस्निया, सर्बिया, ट्यूनीशिया, कंबोडिया, लाओस, कजाकिस्तान और हर्जेगोविना। इन देशों को राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भी प्राप्त हुए हैं, जिसमें 1 अगस्त से टैरिफ लागू होने की बात कही गई है।
टैरिफ आखिर होता क्या है?
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में टैरिफ एक तरह का बॉर्डर टैक्स होता है, जो किसी देश में विदेश से आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है। इसका सीधा असर दो चीज़ों पर पड़ता है। एक तो सरकार को टैक्स के रूप में अतिरिक्त आमदनी होती है, दूसरा यह कि विदेशी सामान महंगा हो जाता है, जिससे घरेलू उत्पादों को बाज़ार में बेहतर मौका मिलता है। यह कदम अक्सर तब उठाया जाता है जब सरकार को लगता है कि घरेलू कंपनियां सस्ते आयात की वजह से नुकसान में जा रही हैं।
अमेरिका को क्या फायदा मिलेगा?
इन टैरिफों से अमेरिकी सरकार को राजस्व तो मिलेगा ही, साथ ही अमेरिकी बाजारों में घरेलू उत्पादों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त भी मिल सकती है। ट्रंप का यह फैसला उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे के तहत ही आता है, जहां वे घरेलू नौकरियों, उद्योगों और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विदेशी आयात पर रोक लगाते रहे हैं। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इन टैरिफों के कारण अमेरिका और इन देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
चुनावी चाल या रणनीतिक कदम?
ट्रंप के टैरिफ फैसलों को कई लोग आगामी राष्ट्रपति चुनावों से भी जोड़कर देख रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के आक्रामक व्यापारिक कदमों से ट्रंप अपनी घरेलू लोकप्रियता बढ़ाने और आर्थिक राष्ट्रवाद का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे फैसले वैश्विक व्यापार सहयोग को कमजोर कर सकते हैं और कई देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में दरार डाल सकते हैं।