लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने चित्रकूट को तेजी से विकास की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में चित्रकूट को बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से जोड़ने वाले नए लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है। यह परियोजना चित्रकूट की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी और क्षेत्र में पर्यटन, औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर खोलेगी।
15.17 किलोमीटर लंबा होगा चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे
इस नए लिंक एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 15.17 किलोमीटर होगी। चार लेन का यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPIDA) द्वारा ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) मोड में बनाया जाएगा। इस परियोजना पर कुल 939.67 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
चित्रकूट से लखनऊ और एनसीआर की दूरी होगी कम
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने बताया कि यह लिंक एक्सप्रेस-वे चित्रकूट के भरतकूप क्षेत्र से शुरू होकर अहमदगंज गांव तक पहुंचेगा। इस रास्ते के बन जाने से चित्रकूट से लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) तक की यात्रा तेज, सुगम और सुरक्षित हो जाएगी। इससे क्षेत्र में उद्योगों के विस्तार की संभावना भी बढ़ेगी।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
चित्रकूट धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थल है। लिंक एक्सप्रेस-वे बनने से पर्यटकों को यहां तक पहुंचने में आसानी होगी, जिससे पर्यटन क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। साथ ही होटल, दुकानों, परिवहन और अन्य सेवाओं से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
38 लाख मानव दिवस सृजन की उम्मीद
इस परियोजना से लगभग 38 लाख मानव दिवस (Man-Days) का रोजगार तैयार होने की संभावना है, जो स्थानीय युवाओं के लिए अच्छी खबर है। इससे न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां भी तेज होंगी।
भूमि अधिग्रहण और योजना की स्थिति
इस परियोजना के लिए कर्वी तहसील के 13 गांवों में 167 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से अब तक करीब 150 हेक्टेयर भूमि खरीदी जा चुकी है। परियोजना का प्रारंभिक संरेखण और औचित्य परीक्षण पूरा कर लिया गया है। साथ ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR भी तैयार है। जैसे ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होगी, निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
विकास की ओर अग्रसर चित्रकूट
योगी सरकार की यह योजना चित्रकूट को बुंदेलखंड के बाकी हिस्सों से बेहतर ढंग से जोड़ने के साथ-साथ उसे विकास के मुख्य मार्ग पर लाने का काम करेगी। इससे क्षेत्र की भौगोलिक और आर्थिक स्थिति दोनों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।