त्योहारी सीज़न से पहले सरकार ने खाने के तेल की गुणवत्ता और सप्लाई को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब बाजार में मिलने वाला तेल सिर्फ शुद्ध ही नहीं होगा, बल्कि उसकी प्रोडक्शन और स्टॉक की पूरी जानकारी सरकार के पास मौजूद रहेगी। 1 अगस्त 2025 से लागू हुआ नया आदेश तेल कारोबार में पारदर्शिता और जवाबदेही को अनिवार्य बना देगा।
क्या है नया आदेश VOPPA?
सरकार ने “2025 वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी रेगुलेशन ऑर्डर” (VOPPA) लागू किया है। यह आदेश 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आता है और पुराने 2011 के नियमों को पूरी तरह से बदलता है। इसका उद्देश्य है कि तेल के उत्पादन, बिक्री और स्टॉक पर सटीक डेटा इकट्ठा किया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की कालाबाजारी, मिलावट या कृत्रिम कमी को रोका जा सके।
हर तेल मिल को अब करनी होगी रिपोर्टिंग
नए नियमों के तहत अब देश की हर वेजिटेबल ऑयल फैक्ट्री को खुद को सरकारी रिकॉर्ड में पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए तेल निर्माताओं को अपनी फैक्ट्री का पूरा पता, उत्पादन क्षमता और अन्य संचालन से जुड़ी जानकारी देकर दिल्ली स्थित शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल निदेशालय से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेना होगा। इतना ही नहीं, रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें हर महीने की 15 तारीख तक यह रिपोर्ट भी देनी होगी कि कितने कच्चे तेल का उपयोग हुआ, कितना तेल तैयार हुआ, कितनी बिक्री हुई और फैक्ट्री में कितना स्टॉक बचा है। सरकार का उद्देश्य इससे सप्लाई चेन पर सीधी निगरानी रखना और खाद्य तेल की उपलब्धता तथा कीमतों को संतुलित बनाए रखना है।
उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई
नए आदेश के तहत सरकार ने निरीक्षण और कार्रवाई की शक्तियों को और मजबूत किया है। अब शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल निदेशालय के निदेशक किसी भी तेल मिल या फैक्ट्री का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। वे संबंधित प्रोड्यूसर से विस्तृत जानकारी मांगने का अधिकार भी रखते हैं। यदि किसी फैक्ट्री की रिपोर्टिंग में गड़बड़ी पाई जाती है या नियमों का पालन नहीं किया जाता, तो निदेशक उस यूनिट का स्टॉक जब्त कर सकते हैं। इसका सीधा संदेश यह है कि अब नियमों की अनदेखी या लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी और पारदर्शिता से काम करना हर इकाई के लिए अनिवार्य होगा।
आसान और स्पष्ट नियम
सरकार ने इस बार नियमों को ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाने पर ज़ोर दिया है:-
- अब “Chief Director” की जगह सिर्फ “Director” शब्द होगा
- पुराने तकनीकी शब्द जैसे de-oiled meal या edible flour को हटा दिया गया है
- क्लॉज की जगह “पैरा” शब्द का उपयोग किया जाएगा
- शेड्यूल-III और पैरा 13 जैसे जटिल हिस्सों को खत्म कर नियमों को आम आदमी और उद्योग के लिए सरल बनाया गया है।
तेल उद्योग ने किया स्वागत
इंडियन वेजिटेबल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि लंबे समय से इस क्षेत्र में डेटा की कमी और असंगठित यूनिट्स की अराजकता के कारण नीतियों को लागू करने में दिक्कत होती थी।
IVPA ने माना कि संगठित क्षेत्र के लिए यह नियम पालन में आसान होगा, लेकिन छोटी तेल मिलों और ग्रामीण यूनिट्स के लिए यह एक नई चुनौती होगी। फिर भी उम्मीद है कि धीरे-धीरे डेटा की गुणवत्ता सुधरेगी, जिससे पूरे सिस्टम में सुधार आएगा।
किसानों और ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा?
किसानों को सही मांग और कीमत का पूर्वानुमान मिलेगा जिससे वे बेहतर मूल्य पा सकेंगे।
ग्राहकों को मिलावट रहित और प्रमाणित तेल मिलेगा, जिससे स्वास्थ्य और विश्वास दोनों में सुधार होगा।
सरकार के लिए नीति बनाना और क्राइसिस मैनेजमेंट आसान हो जाएगा।
शुद्धता और जवाबदेही की ओर एक बड़ा कदम
सरकार का यह नया नियम सिर्फ मिलावट रोकने के लिए नहीं, बल्कि पूरे खाद्य तेल सिस्टम को पारदर्शी और नियंत्रित बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में इसका असर त्योहारी सीज़न में साफ तौर पर देखा जा सकेगा।