भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने प्रशासनिक और नीतिगत ढाँचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। बैंक ने अपने कार्यकारी निदेशक इंद्रनील भट्टाचार्य को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) का एक्स-ऑफिसियो सदस्य नामित किया है। यह नियुक्ति उस समय हुई है, जब मौजूदा सदस्य राजीव रंजन अक्टूबर की नीति बैठक से पहले सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। भट्टाचार्य अब आगामी 29 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025 के बीच होने वाली MPC बैठक में शामिल होंगे और मौद्रिक नीतियों को लेकर लिए जाने वाले फैसलों में अहम भूमिका निभाएंगे।
भट्टाचार्य की नियुक्ति की पृष्ठभूमि
आरबीआई का यह निर्णय उसके सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 618वीं बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता लखनऊ में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। इस बैठक में देश और विदेश की आर्थिक परिस्थितियों पर भी चर्चा की गई।
राजीव रंजन, जो मौद्रिक नीति समिति के मौजूदा एक्स-ऑफिसियो सदस्य हैं, अक्टूबर की बैठक से पहले सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में यह बदलाव समयानुकूल और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि समिति की आगामी बैठकें भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए काफी अहम मानी जा रही हैं।
इंद्रनील भट्टाचार्य: अनुभव और योगदान
भट्टाचार्य का केंद्रीय बैंकिंग में 28 वर्षों का लंबा अनुभव है। इस दौरान उन्होंने लगभग दो-तिहाई समय मौद्रिक नीति के क्षेत्र में कार्य किया है। मार्च 2025 में उन्होंने आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (Department of Economic and Policy Research) में कार्यकारी निदेशक का पद संभाला था। उन्होंने कतर सेंट्रल बैंक (Qatar Central Bank) में 2009 से 2014 तक पाँच साल तक आर्थिक विशेषज्ञ (Economic Expert) के तौर पर सेवाएँ दीं। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री धारक हैं। उनके शोध क्षेत्र में मौद्रिक अर्थशास्त्र, मौद्रिक नीति और वित्तीय बाजारों का विश्लेषण शामिल है। विशेष रूप से मार्केट माइक्रोस्ट्रक्चर पर उन्होंने गहन शोध किया है और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की भूमिका
मौद्रिक नीति समिति भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने में सबसे अहम भूमिका निभाती है। यह समिति रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और अन्य मौद्रिक उपकरणों पर निर्णय लेती है, जो सीधे तौर पर महंगाई, विकास और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं। इंद्रनील भट्टाचार्य की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है, जब वैश्विक आर्थिक स्थिति में अस्थिरता है, भू-राजनीतिक संकट गहराए हुए हैं और घरेलू वित्तीय बाजार लगातार उतार-चढ़ाव देख रहे हैं। ऐसे माहौल में समिति का हर निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम होगा।
आरबीआई बोर्ड की बैठक में चर्चा
लखनऊ में हुई आरबीआई की 618वीं बैठक में केवल नियुक्ति ही नहीं, बल्कि कई बड़े मुद्दों पर विमर्श हुआ। बैठक में वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा की गई। भू-राजनीतिक चुनौतियों, वित्तीय बाजार की अस्थिरता और उससे जुड़े जोखिमों पर चर्चा हुई। आरबीआई के कई केंद्रीय कार्यालय विभागों के कामकाज की समीक्षा भी की गई। बैठक में आरबीआई के उप-गवर्नर राजेश्वर राव, टी. रबी शंकर, स्वामीनाथन जे. और डॉ. पूनम गुप्ता भी उपस्थित रहे।
क्यों अहम है यह नियुक्ति?
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति सीधे तौर पर आम नागरिक की जिंदगी को प्रभावित करती है। रेपो रेट तय होता है तो उसका असर बैंकों के लोन, EMI और सेविंग्स रेट्स पर पड़ता है। मौद्रिक नीति महंगाई दर को नियंत्रित करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। भट्टाचार्य के अनुभव और शोध कार्य से उम्मीद है कि वह समिति को और अधिक वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण देंगे।
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति में इंद्रनील भट्टाचार्य की एंट्री को एक रणनीतिक और दूरदर्शी कदम माना जा रहा है। यह बदलाव केवल समिति की कार्यशैली को मजबूत नहीं करेगा, बल्कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देने में सहायक होगा।
उनकी नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है, जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएँ गहराई हुई हैं और भारत अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार पर खड़ा करने की ओर अग्रसर है।