निजी क्षेत्र की दिग्गज दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया (Vi) एक बार फिर आर्थिक संकट की मार झेल रही है। कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया की नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वोडाफोन-आइडिया का कहना है कि विभाग की नई मांग न्यायालय के पिछले आदेशों के दायरे से बाहर है और यह कंपनी की वित्तीय स्थिति को और ज्यादा कमजोर कर सकती है।
नई डिमांड पर विवाद
दूरसंचार विभाग ने हाल ही में वोडाफोन-आइडिया और आइडिया सेल्युलर के लाइसेंस शुल्क दायित्वों में बदलाव किया है। इस बदलाव में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 2,774 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग भी शामिल है। कंपनी का आरोप है कि यह नई डिमांड गणना में हुई गलतियों और दोहराव पर आधारित है। वोडाफोन-आइडिया का कहना है कि बिना स्पष्ट गणितीय या लिपिकीय त्रुटियों को सुधारे यह अतिरिक्त डिमांड लगाना अनुचित है। यही नहीं, कंपनी ने यह भी तर्क दिया है कि वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए की गई पुरानी मांगों को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया था। ऐसे में अब नई मांगें न्यायसंगत नहीं हैं।
वोडाफोन-आइडिया की सुप्रीम कोर्ट में दलील
वोडाफोन-आइडिया ने अपनी याचिका में स्पष्ट कहा है कि DoT की कार्रवाई एकतरफा है। कंपनी ने मांग की है कि 2016-17 तक की AGR डिमांड्स को पूर्ण और अंतिम माना जाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो बकाया की नई गणना की जाए ताकि कंपनी पर अनुचित बोझ न पड़े। कंपनी का दावा है कि पहले से ही वह कर्ज के बोझ में दबी हुई है, ऐसे में अतिरिक्त AGR डिमांड्स से स्थिति और खराब हो जाएगी।
कर्ज का भारी बोझ और आर्थिक संकट
वोडाफोन-आइडिया पर फिलहाल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की सरकारी देनदारियां हैं। इसमें शामिल हैं:
- AGR बकाया
- स्पेक्ट्रम की स्थगित भुगतान किस्तें (वित्त वर्ष 2044 तक)
- कंपनी को मार्च 2026 से 16,428 करोड़ रुपये की AGR किस्तों का भुगतान शुरू करना होगा। इसके अलावा, जून तक 2,641 करोड़ रुपये की स्पेक्ट्रम किस्तें भी चुकानी होंगी।
इतने भारी कर्ज के बीच, कंपनी 4G कवरेज बढ़ाने और 5G लॉन्च करने के लिए धन जुटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन नई AGR डिमांड्स ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
सरकारी रोक और मार्च 2026 की चुनौती
सरकार ने वोडाफोन-आइडिया को AGR भुगतान पर 4 साल की मोहलत दी थी, जो मार्च 2025 में समाप्त हो जाएगी। उसके बाद कंपनी को बड़ी-बड़ी किस्तों में बकाया चुकाना होगा। कंपनी ने पहले ही सरकार को चेतावनी दी है कि अगर अतिरिक्त राहत नहीं मिली, तो वित्त वर्ष 2026 के बाद उसका परिचालन जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का रुख और पिछला फैसला
वोडाफोन-आइडिया की परेशानी तब और बढ़ गई जब सुप्रीम कोर्ट ने 83,400 करोड़ रुपये के AGR बकाया पर 45 हजार करोड़ रुपये के ब्याज और जुर्माने को माफ करने से इनकार कर दिया। इस फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया की स्थिति और खराब हो गई। कंपनी ने अदालत में साफ कहा है कि AGR विवाद का समाधान उसके अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी है।
कंपनी की चिंताएं और भविष्य की रणनीति
वोडाफोन-आइडिया के सामने अभी तीन बड़ी चुनौतियां हैं:
- AGR बकाया और नई डिमांड्स का दबाव
- स्पेक्ट्रम किस्तों का भुगतान
- 4G और 5G नेटवर्क विस्तार के लिए पूंजी जुटाना
कंपनी की योजना है कि नए निवेशकों को आकर्षित करके अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत की जाए। साथ ही, सरकार से अतिरिक्त राहत की उम्मीद भी जताई जा रही है। फिलहाल, वोडाफोन-आइडिया का AGR बकाया विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में नई लड़ाई के रूप में सामने आया है। अगर अदालत कंपनी के पक्ष में फैसला देती है, तो उसे बड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन अगर मामला वोडाफोन-आइडिया के खिलाफ गया, तो कंपनी का भविष्य और भी संकट में फंस सकता है। टेलीकॉम सेक्टर में वोडाफोन-आइडिया की मौजूदगी के लिए आने वाले कुछ महीने बहुत अहम होने वाले हैं।