UP सरकार ने राज्य में उद्योग जगत को बड़ी राहत देने वाला कदम उठाया है। प्रदेश में निवेश को और आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने औद्योगिक अपराधों पर जेल की सजा का प्रावधान खत्म कर दिया है। अब ऐसे मामलों में उद्यमियों को जेल नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि उनकी जगह भारी आर्थिक दंड (फाइन) देना होगा।
यह फैसला सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति को और मजबूत करेगा। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के माध्यम से ‘उप्र सुगम व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025’ को मंजूरी दे दी गई है। अब राज्यपाल की स्वीकृति के बाद यह अध्यादेश लागू हो जाएगा।
औद्योगिक अपराधों पर सजा का प्रावधान खत्म
राज्य सरकार ने औद्योगिक कानूनों में लंबे समय से चली आ रही सजा की धाराओं को खत्म करने का निर्णय लिया है। अब ऐसे मामलों में जेल की बजाय जुर्माना देना होगा। इस बदलाव के तहत, यदि किसी उद्योग से खतरनाक रसायनों का रिसाव या प्रदूषण से जुड़ी कोई त्रुटि पाई जाती है, तो पहले की तरह पांच साल की सजा नहीं होगी। इसके बदले अब अधिकतम 15 लाख रुपये तक का जुर्माना या 10 हजार रुपये प्रतिदिन का आर्थिक दंड लगाया जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह कदम उन उद्योगों के हित में है जो अनजाने में नियमों का उल्लंघन कर बैठते हैं, लेकिन जिनकी गलती से कोई जान-माल का नुकसान नहीं होता।
10 कानूनों को जोड़कर बना नया अध्यादेश
सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े 10 अलग-अलग कानूनों को मिलाकर यह नया अध्यादेश तैयार किया है। इसका नाम रखा गया है – “उप्र सुगम व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025”। यह अध्यादेश प्रदेश में निवेश के माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इसमें उन सभी पुराने नियमों को हटाया गया है जिनके कारण उद्योगों को छोटी गलतियों के लिए जेल जाना पड़ता था। खासतौर पर कारखानों से निकलने वाले खतरनाक रसायन, गैरकानूनी तालाबंदी, अपंजीकृत औद्योगिक संगठन के लिए काम करना और छंटनी से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान अब खत्म कर दिया गया है।
80 हजार से ज्यादा उद्योगों को राहत
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा राज्य के जल आधारित उद्योगों को मिलेगा। ऐसे करीब 80 हजार से ज्यादा उद्योग यूपी में संचालित हैं। पहले, प्रदूषण या जल निकासी से जुड़ी छोटी त्रुटियों पर भी उद्योगपतियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो जाती थी। अब इन मामलों में जेल के बजाय सिर्फ जुर्माने का प्रावधान रहेगा। यह कदम मौजूदा उद्योगों को राहत देगा साथ में राज्य में नए निवेशकों का भी भरोसा बढ़ाएगा।
उद्यमियों के सुझावों पर आधारित निर्णय
यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया है। इन्वेस्ट यूपी और औद्योगिक विकास विभाग ने हाल ही में राज्य के विभिन्न औद्योगिक संगठनों के साथ बैठकें की थीं। इन बैठकों में उद्यमियों ने साफ कहा था कि कई पुराने कानूनों के प्रावधान आज के औद्योगिक माहौल में अप्रासंगिक हो चुके हैं। कई बार उद्यमियों को उन मामलों में सजा भुगतनी पड़ती थी जिनमें उनकी कोई सीधी गलती नहीं होती थी। सरकार ने उद्यमियों की बात सुनी और उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए यह व्यवहारिक सुधार किया है।
केंद्र सरकार की नीतियों से मेल खाता बदलाव
यह कदम केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप भी है। केंद्र ने हाल ही में “जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम-2024” में भी सजा की धाराओं को बदलकर जुर्माने का प्रावधान किया था। संसद ने इसे 15 फरवरी 2024 को मंजूरी दी थी। अब यूपी सरकार ने उसी दिशा में यह कदम उठाया है ताकि राज्य में उद्योग करना और भी आसान बने।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका बरकरार
हालांकि कानूनों में बदलाव किया गया है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और औद्योगिक विकास विभाग की निगरानी पहले की तरह जारी रहेगी। राज्य में उद्योगों को उनकी श्रेणी – रेड, ऑरेंज और व्हाइट में रखा गया है। बोर्ड इन श्रेणियों के अनुसार मानक तय करता रहेगा ताकि पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उद्योगों के लिए सुगमता और भरोसे का नया दौर
सरकार का यह फैसला उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास की दिशा में बदलाव ला सकता है। क्योंकि अब उद्यमियों को छोटी तकनीकी गलतियों के लिए जेल की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। राज्य में उद्योग स्थापित करने और चलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और आसान बन जाएगी।