Airbus ने शनिवार को एक बड़ा अनुमान जारी किया है, जिसके अनुसार आने वाले दो दशकों में एशिया-पैसिफिक क्षेत्र को 19,560 नए एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ेगी। यह संख्या दुनिया की कुल डिमांड का 46 फीसदी है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर अगले 20 वर्षों में करीब 42,520 नए विमान डिलीवर होंगे। एयरबस के एशिया-पैसिफिक प्रेसिडेंट आनंद स्टैनली के मुताबिक, हर साल इस क्षेत्र में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या तेज गति से बढ़ रही है। खासतौर पर भारत और चीन इस ग्रोथ को सबसे ज्यादा आगे बढ़ा रहे हैं।
एशिया-पैसिफिक में पैसेंजर ट्रैफिक ग्लोबल एवरेज से तेज
स्टैनली ने बताया कि एशिया-पैसिफिक में पैसेंजर ट्रैफिक हर साल 4.4 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगा, जबकि दुनिया का औसत सिर्फ 3.6 प्रतिशत है। भारत पहले से ही दुनिया का सबसे तेज बढ़ता हुआ एविएशन मार्केट है। इंडियन एयरलाइंस अपनी फ्लीट को दोगुना करने तक की तैयारियों में हैं, जिसके लिए बड़े-बड़े ऑर्डर दिए जा रहे हैं।
वाइड-बॉडी और सिंगल-आइजल प्लेन की भारी डिमांड
Airbus ने बैंकॉक में हुई AAPA मीटिंग में बड़ा अनुमान पेश किया। कंपनी के मुताबिक आने वाले सालों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता एविएशन मार्केट बनने वाला है। यहां 3,500 वाइड-बॉडी प्लेन की जरूरत होगी, जो ग्लोबल डिमांड का 43 फीसदी है, जबकि 16,100 सिंगल-आइजल प्लेन की डिमांड रहेगी, जो दुनिया भर की डिलीवरी का 47 फीसदी हिस्सा है।
Airbus का कहना है कि यह पूरा इलाका अब तेजी से ग्रोथ वाले फेज में प्रवेश कर चुका है। नई रूट्स खुल रही हैं, लो-कॉस्ट एयरलाइंस तेजी से बढ़ रही हैं और एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होता जा रहा है। यह संकेत है कि आने वाले समय में एशिया-प्रशांत दुनिया की हवाई यात्रा का नया केंद्र बनने वाला है।
भारत का एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर – तेजी से बदल रहा चेहरा
भारत बड़े स्तर पर नए एयरपोर्ट और नई सुविधाओं का निर्माण कर रहा है। हाल ही में देश के दो सबसे बड़े एविएशन प्रोजेक्ट्स सुर्खियों में हैं – नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट।
नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट
नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का फेज 1, जिसका उद्घाटन 8 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, देश में एयर ट्रैवल का नया डिजिटल युग शुरू करता है। 19,650 करोड़ रुपये की लागत से बना यह एयरपोर्ट पूरी तरह डिजिटल प्रोसेस पर आधारित है – ऑनलाइन बैगेज ड्रॉप, डिजिटल इमिग्रेशन, प्री-बुक्ड पार्किंग और फेस-आधारित बोर्डिंग जैसी सुविधाएं इसे भारत का पहला फुल डिजिटल एयरपोर्ट बनाती हैं।
मुंबई क्षेत्र के दूसरे बड़े इंटरनेशनल हब के रूप में यह छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट की भीड़ को कम करेगा। 1,160 हेक्टेयर में फैला यह विशाल प्रोजेक्ट आने वाले चरणों में हर साल 90 मिलियन यात्रियों को संभालने की क्षमता रखेगा। सबसे खास बात यह है कि भारत में पहली बार यहां ऑटोमेटेड पीपल मूवर सिस्टम लगाया गया है, जो एयरपोर्ट को मेट्रो, एक्सप्रेसवे, सबअर्बन रेल और वॉटर ट्रांसपोर्ट से जोड़ेगा। यही इसे देश का पहला सच्चा मल्टी-मोडल एविएशन हब बनाता है।
एयरलाइंस ने शुरू की तैयारियाँ: 25 दिसंबर से उड़ानें
नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 25 दिसंबर से उड़ानें शुरू होने जा रही हैं, और एयरलाइंस ने इसकी तैयारी तेज कर दी है। इंडिगो सबसे पहले बड़े स्तर पर ऑपरेशन शुरू करने वाली एयरलाइनों में से है। शुरुआती चरण में यह दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, नागपुर जैसे 10 प्रमुख घरेलू शहरों के लिए उड़ानें शुरू करेगी। कंपनी ने साफ किया है कि जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, नवी मुंबई से उसका नेटवर्क धीरे-धीरे और विस्तारित किया जाएगा।
वहीं अकासा एयर भी 25 दिसंबर को अपनी पहली सेवा दिल्ली–नवी मुंबई रूट से शुरू करेगी। इसके बाद एयरलाइन कोचि, गोवा और अहमदाबाद जैसी महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन पर उड़ानें जोड़ती जाएगी। अकासा का लक्ष्य आने वाले समय में नवी मुंबई एयरपोर्ट से हर सप्ताह 300 घरेलू और 50 इंटरनेशनल डिपार्चर तक पहुँचना है, जो इस हब को तेज़ी से एक बड़े एविएशन सेंटर के रूप में स्थापित करेगा।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) में भी तेजी
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी काम तेज गति से जारी है। पिछले महीने एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने यहाँ कैलिब्रेशन फ्लाइट का सफल परीक्षण किया था। यह टेस्ट नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम की जांच करता है, जो कमर्शियल उड़ानों के लिए बेहद जरूरी है।
कनेक्टिविटी होगी सुपर-फास्ट
- दिल्ली-NCR से डायरेक्ट लिंक
- आगरा, मथुरा, मेरठ, अलीगढ़ तक आसानी
- यमुना एक्सप्रेसवे से डायरेक्ट कनेक्शन
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से मजबूत लिंक
फेज 1 के पूरा होने पर यह एयरपोर्ट हर साल 20 मिलियन पैसेंजर्स हैंडल करेगा।
भारत के लिए अहम
एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर, बढ़ते हवाई यात्रियों और बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट ऑर्डर्स के साथ भारत अब वैश्विक विमानन मानचित्र पर नई जगह बना रहा है। एयरबस का अनुमान यह साफ दिखाता है कि आने वाले 20 साल एशिया और खासकर भारत के लिए ऐतिहासिक साबित होने वाले हैं।