केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच साल पहले तैयार किए गए चार नए लेबर कोड को लागू कर दिया है। ये कोड पुराने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर बनाए गए हैं, ताकि नौकरी, वेतन, कामकाज और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं अधिक स्पष्ट, सरल और आधुनिक बन सकें। नए लेबर कोड्स का मकसद एक ऐसा ढांचा तैयार करना है, जिससे कंपनियों के लिए बिजनेस करना आसान हो और मजदूरों को अधिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पहली बार असंगठित क्षेत्र तक न्यूनतम मजदूरी का दायरा विस्तृत कर दिया गया है। इसके साथ ही, मजदूरी की परिभाषा बदली गई है, जिसमें बेसिक पे, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग अलाउंस शामिल होंगे। कुल सैलरी में 50% हिस्सा अब बेसिक पे होना अनिवार्य होगा, जिससे कंपनियां भत्तों के नाम पर वेतन में भ्रम न पैदा कर सकें।
महिलाओं के लिए ये हैं फायदे
नए नियमों में महिलाओं के समान अवसर और समान वेतन पर विशेष जोर दिया गया है। अब महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने का विकल्प दिया गया है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब वे स्वयं इसकी सहमति दें और कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा के लिए मजबूत और भरोसेमंद व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। अब लिंग के आधार पर किसी भी भर्ती या सेवा शर्त में भेदभाव नहीं किया जा सकेगा।
हड़ताल के लिए 14 दिनों का नोटिस
सर्विस सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम को औपचारिक बढ़ावा दिया गया है। कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से कामकाज की व्यवस्था तय कर सकेंगे। श्रम विवादों को जल्दी निपटाने के लिए दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल बनाई जाएगी, जिससे फैसले जल्द दिए जा सकें। हड़ताल के लिए अब कम से कम 14 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य होगा, और नोटिस अवधि या बातचीत चलने के दौरान हड़ताल करना प्रतिबंधित रहेगा। गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स जैसे डिलीवरी पार्टनर्स और कैब ड्राइवरों को भी अब सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाया गया है, जिसके लिए प्लेटफॉर्म कंपनियों को अपने कारोबार का 1-2% योगदान करना होगा।
ग्रेच्युटी पाने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को अब ग्रेच्युटी पाने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे सेवा अवधि के आधार पर ग्रेच्युटी के पात्र होंगे। निरीक्षण प्रणाली में कंप्यूटर आधारित ‘इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर’ मॉडल लागू किया गया है, जिससे अनावश्यक दबाव और उत्पीड़न की संभावना कम होगी। कई अपराधों को सीधे जुर्माना भरकर निपटाने की सुविधा भी दी गई है, जिससे अदालतों का बोझ कम होगा। सभी लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइलिंग पूरी तरह ऑनलाइन हो जाएगी, जिससे दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अब ‘वन लाइसेंस, वन रजिस्ट्रेशन’ का नियम लागू होगा, यानी अलग-अलग कार्यों के लिए अलग रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी। असंगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिए अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य किया गया है। कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट अब उन यूनिट्स पर लागू होगा जहां 50 या अधिक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी काम करते हैं।