देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक HDFC बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से एक अहम नियामकीय मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के तहत अब HDFC बैंक और उससे जुड़ी समूह कंपनियां IndusInd बैंक में कुल मिलाकर 9.50 फीसदी तक हिस्सेदारी रख सकेंगी। यह अनुमति RBI ने 15 दिसंबर को जारी एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से दी है, जो 14 दिसंबर 2026 तक यानी एक साल के लिए वैध रहेगी। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने साफ तौर पर यह शर्त भी रखी है कि किसी भी स्थिति में HDFC समूह की कुल हिस्सेदारी IndusInd बैंक की चुकता शेयर पूंजी या वोटिंग अधिकारों के 9.50% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सीधे शेयर नहीं खरीदेगा HDFC बैंक
इस खबर में सबसे अहम बात यह है कि HDFC बैंक खुद IndusInd बैंक में प्रत्यक्ष निवेश नहीं करेगा। यानी बैंक सीधे शेयर नहीं खरीदेगा। यह अनुमति मुख्य रूप से HDFC समूह की अन्य वित्तीय कंपनियों के लिए ली गई है, जो अपने कारोबार के तहत अलग-अलग निवेश करती हैं।
दरअसल, HDFC बैंक और उसकी समूह कंपनियों का संयुक्त निवेश पहले से तय 5 फीसदी की सीमा को पार करने की स्थिति में पहुंच गया था। RBI के नियमों के अनुसार, इस सीमा से आगे जाने के लिए रेगुलेटर की मंजूरी जरूरी होती है। इसी वजह से HDFC बैंक ने 24 अक्टूबर 2025 को RBI के पास औपचारिक आवेदन किया था।
किन कंपनियों को मिलेगा इस मंजूरी का फायदा?
चूंकि HDFC बैंक इन कंपनियों का प्रमोटर और स्पॉन्सर है, इसलिए इनके द्वारा किए गए निवेश को RBI एक साथ जोड़कर देखता है। इस मंजूरी के दायरे में आने वाली प्रमुख कंपनियों में शामिल हैं:
- HDFC म्यूचुअल फंड
- HDFC लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- HDFC एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- HDFC पेंशन फंड मैनेजमेंट लिमिटेड
- HDFC सिक्योरिटीज लिमिटेड
इन सभी कंपनियों को अब अपने सामान्य निवेश कार्यों के तहत IndusInd बैंक के शेयर खरीदने की अनुमति मिल गई है।
क्या होता है ‘एग्रीगेट होल्डिंग’ का नियम?
इस पूरे मामले में ‘एग्रीगेट होल्डिंग’ शब्द की भूमिका बेहद अहम है। RBI के Commercial Banks – Acquisition and Holding of Shares or Voting Rights Directions, 2025 के अनुसार, किसी भी बैंक की हिस्सेदारी अकेले उसके नाम से नहीं देखी जाती। अगर कोई बैंक अपनी सहायक कंपनियों, म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियों या ट्रस्टी संस्थाओं के जरिए किसी दूसरे बैंक में निवेश करता है, तो उन सभी हिस्सेदारियों को जोड़कर एग्रीगेट होल्डिंग माना जाता है।
RBI का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बैंक या वित्तीय समूह किसी दूसरे बैंक पर परोक्ष रूप से अत्यधिक नियंत्रण न बना सके। यही वजह है कि 5% से ऊपर हिस्सेदारी होने पर RBI की विशेष अनुमति अनिवार्य होती है।
निवेशकों के लिए क्या मायने रखती है यह खबर?
आम निवेशकों के लिए यह सवाल बेहद जरूरी है कि इस फैसले का उनके पैसों पर क्या असर पड़ेगा। HDFC बैंक ने स्पष्ट किया है कि यह निवेश उसके नियमित व्यवसायिक कामकाज का हिस्सा है। सरल शब्दों में कहें तो, अगर आपने HDFC म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस या पेंशन स्कीम में निवेश किया है, तो उन फंड्स को बेहतर रिटर्न देने के लिए IndusInd बैंक जैसे मजबूत शेयरों में पैसा लगाया जा रहा है।
शेयर बाजार के लिए कितना अहम है यह संकेत?
शेयर बाजार के नजरिए से देखें तो यह खबर IndusInd बैंक के मौजूदा निवेशकों के लिए सकारात्मक मानी जा रही है। जब HDFC जैसा बड़ा और भरोसेमंद वित्तीय समूह किसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाता है, तो बाजार में उस कंपनी के प्रति भरोसा और मजबूत होता है। यह कोई अधिग्रहण (टेकओवर) या नियंत्रण हासिल करने की कोशिश नहीं है, बल्कि RBI की निगरानी में किया गया एक रणनीतिक और सुरक्षित निवेश है।
RBI की यह मंजूरी HDFC समूह को निवेश की ज्यादा लचीलापन देती है, जबकि IndusInd बैंक को बाजार में मजबूती और भरोसा मिलता है। यह फैसला बैंकिंग सेक्टर में नियामकीय संतुलन बनाए रखते हुए निवेश को बढ़ावा देने वाला कदम माना जा रहा है।