आज के समय में खेती सिर्फ अन्न पैदा करने तक सीमित नहीं रही, अब किसान ऐसी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दें और लंबे समय तक आमदनी का जरिया बनें। ऐसी ही एक चमत्कारी फसल है – एलोवेरा, जिसे आमतौर पर ‘घृतकुमारी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा ना सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि किसान के लिए एक ‘नोट छापने वाली मशीन’ भी साबित हो सकता है।
क्यों खास है एलोवेरा की खेती?
एलोवेरा एक गूदेदार पौधा है जिसकी पत्तियों में मौजूद जेल कई तरह के कॉस्मेटिक, आयुर्वेदिक और फूड प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होता है। इसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेजी से बढ़ रही है। अच्छी बात ये है कि यह पौधा सूखा सहने वाला होता है, इसे बहुत ज्यादा देखरेख या पानी की जरूरत नहीं होती, जिससे इसकी खेती बेहद कम खर्चीली हो जाती है।
जलवायु और मिट्टी कैसी हो?
एलोवेरा को गर्म और शुष्क जलवायु सबसे ज्यादा पसंद है। 25°C से 40°C तापमान इसके लिए आदर्श माना जाता है। यह पौधा हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी में बेहतर परिणाम देता है, बशर्ते जल निकासी अच्छी हो। खेत की 1-2 बार गहरी जुताई और गोबर की खाद मिलाकर मिट्टी को तैयार किया जा सकता है।
कब और कैसे करें बुवाई?
एलोवेरा की बुवाई के लिए मार्च से जून और जुलाई-अगस्त का समय सबसे उपयुक्त होता है। अच्छे, स्वस्थ और 4-5 पत्तियों वाले सकर्स का उपयोग करना चाहिए। पौधों को 45-60 सेमी की दूरी पर लगाना होता है और एक एकड़ में करीब 15 हजार से 20 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं।
सिंचाई और खाद का ध्यान
एलोवेरा को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद और फिर गर्मियों में हर 15 दिन में एक बार पानी देना पर्याप्त है। सर्दियों में यह अंतर 20 दिनों तक हो सकता है। उर्वरकों में जैविक खाद (FYM) सर्वोत्तम रहती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर थोड़ी मात्रा में एनपीके (20:20:20) भी दी जा सकती है।
कटाई कब और कैसे करें?
एलोवेरा के पौधे लगाने के 6 से 8 महीने बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। एक बार लगाए गए पौधे 3 से 5 साल तक उपज देते हैं। साल में लगभग 3-5 बार इसकी कटाई की जा सकती है। पत्तियों को नीचे के हिस्से से सावधानीपूर्वक काटा जाता है ताकि पौधा दोबारा बढ़ सके।
एक एकड़ में कितना मुनाफा?
एलोवेरा की खेती से एक एकड़ में सालाना 20 हजार से 25 हजार किलोग्राम तक पत्तियां मिल सकती हैं। अगर इनका औसत बाजार मूल्य 8 रुपये प्रति किलो भी माना जाए, तो सालाना 1.6 लाख से 2 लाख रुपये तक की कमाई संभव है। अच्छी देखभाल और मांग के अनुसार यह आय 3 से 5 लाख रुपये सालाना तक भी जा सकती है।
लागत और शुद्ध मुनाफा
पहले साल की कुल लागत (पौधे, खाद, सिंचाई, मजदूरी) लगभग ₹50,000 से ₹1 लाख तक हो सकती है। लेकिन दूसरे साल से लागत बहुत कम हो जाती है (लगभग ₹25,000)। ऐसे में एक एकड़ में किसान को ₹1.3 लाख से ₹4 लाख तक का सालाना शुद्ध लाभ मिल सकता है।
5 साल में कमाएं 5-15 से लाख तक
एलोवेरा की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह फसल 3 से 5 साल तक दोबारा बोने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में एक बार लगाकर किसान लगातार 5 साल तक इसकी उपज से कमाई कर सकते हैं। पांच साल की अवधि में एक एकड़ से 5 लाख से 15 लाख रुपये तक का मुनाफा अर्जित करना संभव है।
अंतिम बात: बदलती खेती, बढ़ता मुनाफा
आज जरूरत है पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर ऐसी फसलों को अपनाने की जो कम पानी, कम मेहनत में अधिक लाभ दें। एलोवेरा उन्हीं में से एक है – यह सिर्फ औषधीय पौधा नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक आय का भरोसेमंद साधन है। अगर आपके पास एक एकड़ जमीन है, तो एलोवेरा की खेती से आप एक सफल और मुनाफे वाला कृषि व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं।