Anil Ambani case: अनिल अंबानी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। एक बार फिर उनका रिलायंस ग्रुप सरकार की जांच एजेंसियों के निशाने पर है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने अब सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) को आदेश दिया है कि वह अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) से जुड़ी कंपनियों की गहन जांच करे। यह कार्रवाई कॉर्पोरेट गवर्नेंस में गड़बड़ियों और पैसों के गलत इस्तेमाल के आरोपों को लेकर की जा रही है।
चार कंपनियों पर गिरेगा जांच का शिकंजा
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने इस हफ्ते जांच का आदेश जारी किया है। SFIO को ADAG ग्रुप की चार प्रमुख कंपनियों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है –
- रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra)
- रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom)
- रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL)
- CLE प्राइवेट लिमिटेड
इन कंपनियों पर वित्तीय जानकारी में गड़बड़ी और फंड्स के गलत इस्तेमाल के आरोप हैं। मंत्रालय ने यह कदम तब उठाया जब बैंकों और ऑडिटर्स ने ग्रुप की वित्तीय रिपोर्ट में कई अनियमितताओं की ओर इशारा किया।
फोरेंसिक ऑडिट में सामने आईं अनियमितताएं
बैंकों द्वारा रिलायंस कैपिटल और आरकॉम के कर्ज डिफॉल्ट के बाद जो फोरेंसिक ऑडिट कराई गई थी, उसमें कई चिंताजनक बातें सामने आईं। ऑडिट में संकेत मिले कि कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में पारदर्शिता की कमी थी और फंड्स का उपयोग तय नियमों के अनुसार नहीं हुआ। यही कारण है कि अब मामला SFIO तक पहुंच गया है, जो कंपनी कानून और फाइनेंशियल कदाचार की गहराई से जांच के लिए जानी जाती है।
पहले CBI और ED भी कर चुके हैं जांच
यह पहली बार नहीं है जब ADAG ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई हुई हो। इससे पहले CBI और ED दोनों ही इन कंपनियों से जुड़े मामलों की जांच कर चुके हैं हालांकि, SFIO की जांच का फोकस कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर रहेगा। यह देखा जाएगा कि क्या बैंकों, रेटिंग एजेंसियों या ऑडिटर्स ने किसी तरह की जानकारी छिपाई थी या नियमों का उल्लंघन हुआ था। अगर जांच में शेल कंपनियों (यानी केवल कागज पर चलने वाली फर्जी कंपनियों) का इस्तेमाल सामने आता है, तो उस दिशा में भी कार्रवाई की जाएगी।
कंपनियों पर हो सकती है सख्त कार्रवाई
SFIO की जांच में अगर किसी कंपनी या निदेशक पर धोखाधड़ी या गलत रिपोर्टिंग का आरोप साबित होता है, तो कॉर्पोरेट मंत्रालय उन्हें कंपनी एक्ट के तहत दंडित कर सकता है। इसमें कंपनी को बंद करना, डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित करना, या कानूनी मुकदमा चलाना शामिल है।
RInfra ने दी सफाई
ईडी की हालिया कार्रवाई के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra) ने एक नियामक बयान जारी करते हुए कहा कि यह जांच कंपनी के संचालन, शेयरधारकों या कर्मचारियों को किसी भी तरह प्रभावित नहीं करेगी। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी पिछले तीन साल से RInfra के बोर्ड में शामिल नहीं हैं, इसलिए जांच का सीधा असर उन पर नहीं पड़ेगा।
7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
इससे पहले, ईडी ने ADAG ग्रुप से जुड़ी 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया था। यह कार्रवाई समूह द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से जुड़े मामलों की जांच के तहत की गई थी। जब्त संपत्तियों में – मुंबई के पाली हिल स्थित एक लग्जरी आवास, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर, और नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की 132 एकड़ जमीन शामिल है। जिसकी कुल कीमत करीब 4,462.81 करोड़ रूपये आंकी गई है।
एक्सपर्ट की राय?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर SFIO की जांच में गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं, तो यह कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए एक सख्त संदेश होगा। हाल के वर्षों में सरकार कंपनियों की वित्तीय पारदर्शिता और गवर्नेंस पर ज्यादा सख्त हुई है। एक समय देश के सबसे चर्चित उद्योगपतियों में शुमार अनिल अंबानी अब कानूनी और वित्तीय मुश्किलों से घिरे दिखाई दे रहे हैं। SFIO की यह जांच न केवल ADAG ग्रुप के भविष्य को प्रभावित करेगी, बल्कि यह भी तय करेगी कि भारत में कॉर्पोरेट ईमानदारी के मानदंड कितने सख्त तरीके से लागू किए जाते हैं।