कभी भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार रहे अनिल अंबानी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कर्ज के बोझ तले दबी उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) को एक और बड़ा झटका लगा है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने कंपनी और अनिल अंबानी के लोन अकाउंट्स को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है। कंपनी ने गुरुवार को अपनी एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी पुष्टि की। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पहले ही SBI और बैंक ऑफ इंडिया भी RCom के लोन अकाउंट्स को फ्रॉड घोषित कर चुके हैं।
SBI, बैंक ऑफ इंडिया के बाद BOB की प्रतिक्रिया
इस साल जून में देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने RCom के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया था। इसके बाद 24 अगस्त 2025 को बैंक ऑफ इंडिया ने भी यही फैसला लिया। अब बैंक ऑफ बड़ौदा के ताजा कदम ने RCom और अनिल अंबानी के लिए हालात और बिगाड़ दिए हैं। कंपनी को 2 सितंबर 2025 को बैंक ऑफ बड़ौदा का नोटिस मिला, जिसमें उनके लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने की सूचना दी गई। इसका सीधा असर शेयर बाजार में देखने को मिला।
RCom के शेयरों में भारी गिरावट
बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम के बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। BSE पर शुरुआती कारोबार में RCom का शेयर 2.8% गिरकर ₹1.39 पर आ गया। यह कंपनी के 52 हफ्तों के न्यूनतम स्तर ₹1.33 के करीब पहुंच गया। विश्लेषकों का मानना है कि बैंक का यह कदम निवेशकों के भरोसे को कमजोर कर सकता है, जिससे RCom के शेयरों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
कंपनी का बचाव: CIRP प्रक्रिया में है RCom
RCom ने इस पूरे मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह इस निर्णय के खिलाफ कानूनी सलाह लेगी। कंपनी का कहना है कि वह फिलहाल कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही है और उसकी समाधान योजना को क्रेडिटर्स की समिति ने पहले ही मंजूरी दे दी है। हालांकि, अंतिम मंजूरी के लिए मामला अभी NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के पास लंबित है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक ऑफ बड़ौदा के पत्र में जिन लोन और क्रेडिट सुविधाओं का जिक्र है, वे CIRP प्रक्रिया शुरू होने से पहले के हैं।
अनिल अंबानी का पक्ष
अनिल अंबानी ने इस पूरे विवाद पर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि RCom को कुल 14 बैंकों के कंसोर्टियम से लोन मिला था। अब, 10 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद, कुछ बैंक उन्हें निशाना बना रहे हैं। कंपनी ने बताया कि 2006 में शुरुआत से लेकर 2019 में इस्तीफे तक अनिल अंबानी RCom के बोर्ड में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर रहे। वे कंपनी के दैनिक कामकाज और निर्णयों में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे। कंपनी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक प्रक्रियागत मुद्दा है और इसे कानूनी स्तर पर सुलझाया जाएगा।
बढ़ती कानूनी मुश्किलें
RCom पर बैंकों की सख्ती के अलावा सरकारी एजेंसियां भी सक्रिय हो चुकी हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मुंबई में 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें RCom से जुड़ी करीब 50 कंपनियों और 25 लोगों को कवर किया गया। साथ ही, CBI ने भी इस मामले में FIR दर्ज की है और बैंक फ्रॉड की जांच तेज कर दी है। माना जा रहा है कि कुल कर्ज और अनियमितताओं की रकम ₹3,000 करोड़ से ज्यादा हो सकती है।
अंबानी साम्राज्य पर लगातार संकट
कभी देश के टॉप रईसों की सूची में शामिल रहे अनिल अंबानी का बिजनेस साम्राज्य पिछले कुछ सालों से संकट में है। उनकी कई कंपनियां या तो बिक चुकी हैं या दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। RCom का कर्ज विवाद इस मुश्किल को और बढ़ा रहा है। निवेशकों की नजरें अब NCLT के फैसले पर हैं, जो तय करेगा कि RCom का भविष्य क्या होगा।
बैंक ऑफ बड़ौद का यह ताजा फैसला अनिल अंबानी और RCom के लिए नई कानूनी और वित्तीय चुनौती बनकर सामने आया है। जहां एक ओर कंपनी खुद को बचाने के लिए CIRP का सहारा ले रही है, वहीं दूसरी ओर बैंकों और एजेंसियों की जांचें मामले को जटिल बनाती जा रही हैं। अभी यह साफ नहीं है कि RCom इस संकट से बाहर निकल पाएगी या नहीं, लेकिन इतना तय है कि आने वाले महीनों में यह विवाद और गहराने वाला है।