भारत में डिजिटल क्रांति अब एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। इंटरनेट यूजर्स की संख्या 5G टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल सेवाओं की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी के साथ अब डेटा सेंटर इंडस्ट्री भारत में तेजी से आगे बढ़ रही है। अनुमान है कि 2030 तक भारत का डेटा सेंटर मार्केट चार गुना बढ़कर 4,500 मेगावॉट से ज्यादा हो जाएगा। इसके साथ ही देश में इस सेक्टर में करीब 25 अरब डॉलर यानि कि (लगभग 2 लाख करोड़ रुपये) का निवेश आने की संभावना है।

क्या है डेटा सेंटर?
डेटा सेंटर एक ऐसी जगह होती है जहां बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा को स्टोर प्रोसेस और मैनेज किया जाता है। बड़ी कंपनियों सरकारी विभागों, बैंकों, OTT प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने यूजर डेटा को सुरक्षित रखने के लिए इन डेटा सेंटर्स की जरूरत होती है।
क्यों बढ़ेगा डेटा सेंटर का बाजार?
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 80 करोड़ से पार जा चुकी है। 5G नेटवर्क और तेजी से बढ़ती डिजिटल सेवाओं की वजह से डेटा का
इस्तेमाल कई गुना बढ़ा है। इसी कारण डेटा सेंटर की मांग भी लगातार बढ़ रही है। सरकार भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है। नेशनल डेटा सेंटर पॉलिसी के तहत टैक्स में छूट, जमीन उपलब्ध कराना और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा दी जा रही है जिससे निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।
कौन करेगा निवेश?
भारत और विदेशी टेक कंपनियां जैसे Amazon Web Services, Google Cloud, Microsoft Azure, Reliance Jio, Adani Group और Hiranandani Group इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करने की तैयारी कर चुके हैं।
कहां बनेंगे नए डेटा सेंटर्स?
मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, बेंगलुरु और नोएडा जैसे शहरों में बड़े डेटा सेंटर हब बनने की संभावना है। इन शहरों की लोकेशन कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर उन्हें इस काम के लिए उपयुक्त बनाते हैं। भारत का डेटा सेंटर मार्केट आने वाले सालों में न सिर्फ टेक्नोलॉजी सेक्टर को मजबूती देगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। 2030 तक भारत एशिया के प्रमुख डेटा हब के रूप में उभर सकता है। यह न सिर्फ देश की डिजिटल ताकत को बढ़ाएगा बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाई तक ले जाएगा।