भारत में इस साल गेहूं की फसल ने रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन किया है। किसानों की मेहनत, अनुकूल मौसम और सरकार की समय पर योजनाओं के कारण गेहूं की पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खेती-किसानी के जानकारों का कहना है कि इस बार गेहूं का उत्पादन 117 मिलियन टन पहुँच सकता है, जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा हो सकता है। यही कारण है कि अब किसान और कृषि व्यापारी सरकार से निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे हैं।

दरअसल, भारत सरकार ने साल 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसका प्रमुख कारण घरेलू बाजार में बढ़ती महंगाई और फसल की कम पैदावार थी। उस समय देश में खाद्यान्न संकट जैसी स्थिति बनने लगी थी, जिससे सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। लेकिन अब जब फसलें अच्छी हो रही हैं और भंडारण क्षमता भी बढ़ रही है, तो सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि सरकार गेहूं निर्यात पर लगी रोक को हटा दे?
किसानों का कहना है कि अगर निर्यात को फिर से मंजूरी मिलती है, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार से अच्छा मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आय में सुधार होगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा, क्योंकि कृषि निर्यात विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक अहम जरिया है। साथ ही, इससे भारत वैश्विक खाद्यान्न बाजार में एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
हालांकि सरकार अब भी इस मुद्दे पर सतर्क है। नीति निर्माताओं का कहना है कि पहले देश की आंतरिक जरूरतों को पूरा किया जाएगा और उसके बाद ही निर्यात पर विचार होगा। इसके पीछे मंशा यह है कि देश में फिर से महंगाई न बढ़े और आम जनता को खाद्यान्न संकट का सामना न करना पड़े। भारत में गेहूं की बंपर पैदावार ने एक नई उम्मीद जगा दी है। अगर सरकार निर्यात पर लगी पाबंदी को हटाती है, तो यह न केवल किसानों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र को भी नई उड़ान मिलेगी। अब सबकी नजरें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हुई हैं।