आज के दौर में हेल्थ इंश्योरेंस न केवल एक ज़रूरत बन गया है बल्कि यह एक ज़रूरी सुरक्षा कवच भी है। खासतौर पर तब, जब आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं और आपको कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलती है। लेकिन जब आप नौकरी छोड़ते हैं, ट्रांसफर होते हैं या किसी कारणवश आपकी नौकरी छूट जाती है, तो सबसे पहले जो चिंता सताती है, वह है मेडिकल सुरक्षा। ऐसे में क्या किया जाए? क्या हेल्थ इंश्योरेंस भी नौकरी के साथ खत्म हो जाता है? नहीं! अच्छी खबर यह है कि अब आप अपने कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस को पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में आसानी से बदल सकते हैं और बिना ब्रेक के हेल्थ कवर जारी रख सकते हैं।

कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस आमतौर पर कंपनी द्वारा कर्मचारियों को ग्रुप पॉलिसी के तहत दिया जाता है, जिसमें प्रीमियम कंपनी देती है। लेकिन यह सुविधा सिर्फ तब तक रहती है जब तक आप उस कंपनी में कार्यरत होते हैं। जैसे ही आप नौकरी छोड़ते हैं, यह कवर बंद हो जाता है। हालांकि बीमा कंपनियां अब ऐसी सुविधा देती हैं, जिससे कर्मचारी अपनी मौजूदा कॉरपोरेट पॉलिसी को व्यक्तिगत पॉलिसी में कन्वर्ट कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया को “पोर्टिंग” कहा जाता है। इसके लिए आपको नौकरी छोड़ने के 30 दिन के भीतर बीमा कंपनी से संपर्क करना होता है और एक एप्लिकेशन के जरिए पॉलिसी को पर्सनल हेल्थ प्लान में बदलने का अनुरोध करना होता है। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपको वेटिंग पीरियड दोबारा नहीं झेलना पड़ता। जैसे अगर आपकी ग्रुप पॉलिसी में पहले से कोई बीमारी कवर थी, तो वही सुविधा नई पर्सनल पॉलिसी में भी मिलेगी।
इसके अलावा, आप पॉलिसी की राशि को भी अपनी ज़रूरत अनुसार बढ़ा सकते हैं। हालांकि इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम देना पड़ सकता है लेकिन यह एक समझदारी भरा निवेश है। साथ ही यह पॉलिसी अब आपकी व्यक्तिगत होगी, जिस पर आपका पूरा नियंत्रण रहेगा, न कि कंपनी का। इसलिए अगर आप नौकरी बदल रहे हैं या छोड़ने की योजना बना रहे हैं, तो इस विकल्प के बारे में ज़रूर सोचें। सही समय पर सही कदम उठाकर आप खुद को और अपने परिवार को मेडिकल इमरजेंसी में सुरक्षित रख सकते हैं।