उत्तर प्रदेश का नाम अब सिर्फ चीनी मिलों, पीतल उद्योग या चमड़े के कारोबार तक सीमित नहीं रहा। यहां की नई पीढ़ी इंडस्ट्रीज को बदलने की हिम्मत कर रही है। इसी बदलाव की एक मिसाल हैं – Rodex Automotive, एक ऐसा वर्कशॉप जो गाड़ियों को नई पहचान दे रहा है। इस वर्कशॉप के संस्थापक सुमित साहनी ने एक ऐसा रास्ता खोला है, जिससे लोग अपनी पुरानी कार को महज़ 5 लाख रुपये खर्च कर पूरी तरह इलेक्ट्रिक कार में बदल सकते हैं।
पुरानी कारों में नई जान
आज के समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) की डिमांड तेज़ी से बढ़ रही है। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतें, प्रदूषण और सरकार की नीतियों ने इस सेक्टर को और भी ज़रूरी बना दिया है। लेकिन समस्या ये है कि नई इलेक्ट्रिक कारें महंगी हैं और आम आदमी की पहुंच से दूर हैं। इसी कमी को पूरा करने का काम कर रहा है Rodex Automotive। यहां पुराने मॉडल की कारों में बैटरी, मोटर और कंट्रोलर इंस्टॉल करके उन्हें पूरी तरह इलेक्ट्रिक बना दिया जाता है। सबसे खास बात यह है कि कार का बॉडी स्ट्रक्चर और इंटीरियर वही रहता है, लेकिन इंजन की जगह फिट होती है एक हाई-पावर इलेक्ट्रिक मोटर।
5 लाख रुपये का मैजिक फॉर्मूला
Rodex Automotive का ऑफर बेहद सरल और आकर्षक है –
-किसी भी पुरानी कार को लेकर आइए।
-5 लाख रुपये खर्च कीजिए।
-और 25–30 दिन में उसी कार को इलेक्ट्रिक मॉडल के रूप में ले जाइए।
इस पैकेज में शामिल हैं –
-लिथियम-आयन बैटरी पैक (150–200 km रेंज क्षमता)
-हाई-टॉर्क इलेक्ट्रिक मोटर
-स्मार्ट कंट्रोलर और कन्वर्ज़न किट
-चार्जिंग सॉकेट और ऑनबोर्ड चार्जर
-आवश्यक सेफ्टी मॉडिफिकेशन
सुमित साहनी बताते हैं –
“हम चाहते हैं कि इलेक्ट्रिक कार का सपना सिर्फ बड़े शहरों या अमीर वर्ग तक सीमित न रहे। 5 लाख में कन्वर्ज़न से आम परिवार भी इलेक्ट्रिक क्रांति का हिस्सा बन सकता है।”
सस्टेनेबिलिटी और बिज़नेस का संगम
Rodex Automotive सिर्फ एक वर्कशॉप नहीं, बल्कि एक ग्रीन मूवमेंट है। जब पुरानी कारों को इलेक्ट्रिक बनाया जाता है, तो दो बड़े फायदे होते हैं –
- प्रदूषण में कमी – पेट्रोल-डीज़ल इंजन हटते ही गाड़ी पूरी तरह ज़ीरो-एमिशन हो जाती है।
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी – नई गाड़ी बनाने में लगने वाले स्टील, प्लास्टिक और एनर्जी की खपत से बचत होती है।
यानी Rodex का मॉडल पर्यावरण को भी सुरक्षित करता है और ग्राहकों की जेब पर भी हल्का पड़ता है।
ग्राहकों का अनुभव
अभी तक Rodex Automotive ने सैकड़ों कारों को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट किया है। इनमें Maruti 800 से लेकर Honda City और Hyundai i10 जैसे मॉडल शामिल हैं।
ग्राहकों का कहना है कि –
-इलेक्ट्रिक कार चलाने में पेट्रोल-डीज़ल के मुकाबले 70–80% तक बचत होती है।
-150 km की रेंज रोज़ाना के शहर के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त है।
-चार्जिंग स्टेशन की चिंता कम होती है क्योंकि घर पर भी चार्जिंग संभव है।
चुनौतियां और भविष्य की राह
सुमित साहनी मानते हैं कि यह रास्ता आसान नहीं है।
-बैटरी की कीमतें अभी भी ऊंची हैं।
-सरकारी रेगुलेशन और आरटीओ अप्रूवल एक जटिल प्रक्रिया है।
-तकनीकी मानक बनाए रखना भी ज़रूरी है ताकि गाड़ी सुरक्षित रहे।
लेकिन उनका विश्वास है कि जैसे-जैसे EV सेक्टर बढ़ेगा, ये चुनौतियां कम होती जाएंगी। उनका लक्ष्य आने वाले 5 साल में कम से कम 5000 कारों को इलेक्ट्रिक बनाना है।
उत्तर प्रदेश में नया औद्योगिक अध्याय
Rodex Automotive ने साबित किया है कि उत्तर प्रदेश सिर्फ पारंपरिक उद्योगों पर निर्भर नहीं है, बल्कि नई तकनीक और इनोवेशन में भी आगे बढ़ सकता है। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो प्रदेश में हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है –
-बैटरी पैक इंस्टॉलेशन
-मेंटेनेंस और रिपेयर
-चार्जिंग स्टेशन सेटअप
-इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्किल्स
यानी Rodex का काम सिर्फ कारों को नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के औद्योगिक ढांचे को बदलने वाला है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ही भविष्य
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का भविष्य भारत में बहुत उज्ज्वल है। लेकिन इसकी असली क्रांति तभी आएगी जब आम आदमी भी इसमें शामिल हो पाए। Rodex Automotive और सुमित साहनी जैसे उद्यमी इस खाई को पाट रहे हैं। आज अगर आप अपनी पुरानी कार को इलेक्ट्रिक बनाना चाहते हैं, तो आपको नई गाड़ी खरीदने की ज़रूरत नहीं। बस 5 लाख रुपये और Rodex Automotive की तकनीक – और आपकी कार एक नई इलेक्ट्रिक ज़िंदगी जीने लगेगी। Rodex ने जो शुरुआत की है, वह न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत में एक हरित औद्योगिक क्रांति का संकेत है।