गणेश चतुर्थी 2025 इस बार केवल आस्था और श्रद्धा का पर्व नहीं, बल्कि एक बड़े आर्थिक उत्सव का भी प्रतीक बनने जा रहा है। 27 अगस्त से शुरू हो रहे इस दस दिवसीय उत्सव में बाजारों की रौनक देखते ही बन रही है। मुंबई, पुणे, नागपुर से लेकर अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद और इंदौर तक, हर जगह तैयारियों का माहौल है। यहीं नहीं अब तो पूरे देश में गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाया जाने लगा है। इस बार खास बात यह है कि व्यापारी और श्रद्धालु दोनों ही विदेशी उत्पादों को छोड़कर पूरी तरह से स्वदेशी वस्तुओं पर ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि इस बार करीब 28,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान लगाया गया है।
गणेशोत्सव में बढ़ता स्वदेशी रुझान
इस वर्ष की गणेश चतुर्थी की सबसे बड़ी खासियत है ‘वोकल फॉर लोकल’ का असर। गणेश प्रतिमाओं से लेकर सजावट सामग्री, पूजा-सामग्री, कपड़े, मिठाइयां और गिफ्ट तक, हर जगह भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ गई है। व्यापारी भी ग्राहकों को स्वदेशी वस्तुएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में स्वदेशी उत्पादों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।
त्योहारी सीजन से बढ़ी आर्थिक गतिविधियां
गणेश चतुर्थी केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। यह त्योहार कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा समेत कई राज्यों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस साल अनुमान है कि पूरे देश में 21 लाख से अधिक गणेश पंडाल स्थापित किए जाएंगे। जिनमें सबसे ज्यादा पंडाल महाराष्ट्र में हैं, जहां लगभग 7 लाख पंडाल लगाए गए हैं। इसके बाद कर्नाटक में करीब 5 लाख पंडाल स्थापित किए गए हैं। वहीं आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में लगभग 2-2 लाख पंडाल लगाए गए हैं। गुजरात में करीब 1 लाख पंडाल हैं, जबकि अन्य राज्यों में लगभग 2 लाख पंडाल सजाए गए हैं। यदि प्रति पंडाल औसतन 50 हजार रुपये का खर्च माना जाए, तो केवल पंडाल सजावट, सेटअप, ध्वनि व्यवस्था और मूर्तियों पर 10,500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है।
त्योहार से जुड़े प्रमुख कारोबारी क्षेत्र
गणेशोत्सव का प्रभाव कई सेक्टरों पर पड़ता है। यहां देखते हैं कि किन-किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कारोबार हो रहा है:
- गणेश प्रतिमाओं का व्यापार – बढ़ते कच्चे माल की कीमतों के बावजूद, इस साल गणेश प्रतिमाओं के कारोबार से 600 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई होने की संभावना है। छोटे पंडालों के लिए मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ी है, जबकि बड़े मंडलों में कस्टमाइज्ड और इको-फ्रेंडली मूर्तियां पसंद की जा रही हैं।
- पूजा सामग्री का बाजार – नारियल, फूल, माला, धूप, दीपक, फल, पत्तियां और अन्य पूजन सामग्री की भारी मांग है। अनुमान है कि इस साल 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार केवल पूजा सामग्री से होगा।
- मिठाइयों और मोदक की बिक्री – गणपति बप्पा को मोदक सबसे प्रिय हैं और इसी कारण मिठाई बाजार में जबरदस्त रौनक है। केवल मोदक और लड्डुओं की बिक्री से 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होने का अनुमान है।
- कैटरिंग और स्नैक्स – त्योहार के दौरान सामूहिक भोग, प्रसाद और स्नैक्स की बड़ी डिमांड रहती है। कैटरिंग इंडस्ट्री इस बार 3 हजार करोड़ रुपये के कारोबार तक पहुंचने की तैयारी में है।
- पर्यटन और परिवहन – गणेशोत्सव के दौरान लाखों लोग महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से अपने गृह नगर या प्रसिद्ध गणपति पंडालों में दर्शन के लिए आते हैं। बसों, ट्रेनों, टैक्सियों, होटलों और टूर पैकेजों पर इस साल 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने का अनुमान है।
- रिटेल और गिफ्ट बाजार – त्योहार में नए कपड़े, सजावट सामग्री, गिफ्ट आइटम और अन्य रिटेल प्रोडक्ट्स की बिक्री में भी भारी इजाफा हुआ है। इस साल 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार की उम्मीद है।
इवेंट मैनेजमेंट और बीमा क्षेत्र में उछाल
गणपति पंडाल अब पारंपरिक से आधुनिक होते जा रहे हैं। भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और सजावट के लिए इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की मांग बढ़ी है, जिससे इस क्षेत्र में लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है। इसके साथ ही, महंगे गहनों से सजे गणेश प्रतिमाओं और पंडालों की सुरक्षा के लिए बीमा कंपनियों की भी बड़ी भूमिका है। इस बार 1 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बीमा कारोबार होने की संभावना है।
गहनों और आभूषणों की बिक्री
गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्रद्धालु सोना-चांदी की खरीदारी में भी पीछे नहीं हैं। चांदी की मूर्तियां, सिक्के और गहनों की बिक्री से इस बार 1 हजार करोड़ रुपये के करीब का कारोबार होने की उम्मीद है।
पर्यावरण संरक्षण और कचरा प्रबंधन
बढ़ते पर्यावरणीय जागरूकता के चलते इस बार इको-फ्रेंडली मूर्तियों, कृत्रिम टैंकों में विसर्जन और सजावट सामग्री के रीसाइक्लिंग की ओर खास ध्यान दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में भी कई नए स्टार्टअप्स उभर रहे हैं, जो पर्यावरणीय सेवाओं से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
त्योहारी सीजन से अर्थव्यवस्था में जान
CAIT के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर का कहना है कि गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बूस्टर डोज़ है। यह त्योहार रक्षाबंधन से शुरू होकर नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, दिवाली, छठ पूजा और फिर विवाह सीजन तक जारी रहता है। इन महीनों में व्यापार का ग्राफ कई गुना बढ़ जाता है और भारतीय बाजारों में नई ऊर्जा का संचार होता है।
गणपति के आने से बाजार में हलचल
गणेश चतुर्थी 2025 एक ऐसा मौका है, जब आस्था, परंपरा और बाजार की हलचल एक साथ दिखाई देती है। 28 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित कारोबार के साथ यह त्योहार सनातन संस्कृति की जीवंतता के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी प्रतीक है। स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग, इको-फ्रेंडली मूर्तियों का प्रचलन और आधुनिक आयोजन व्यवस्थाएं इस त्योहार को एक नए युग की शुरुआत बना रही हैं। गणपति बप्पा के स्वागत के साथ ही भारतीय बाजार नए अवसरों और नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं।