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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > बैंकिंग > Dollar vs Rupee: रुपया डॉलर की रफ्तार के आगे बेदम, पहली बार 90 के पार
बैंकिंग

Dollar vs Rupee: रुपया डॉलर की रफ्तार के आगे बेदम, पहली बार 90 के पार

Last updated: 03/12/2025 4:00 PM
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Industrial Empire
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Dollar vs Rupee: रुपया 90 के पार, भारतीय मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट
डॉलर के मुकाबले रुपये की ऐतिहासिक गिरावट
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Dollar vs Rupee: भारतीय रुपया इस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक अभूतपूर्व दबाव का सामना कर रहा है। आज सुबह जैसे ही बाजार खुले, रुपया पहली बार 90 के पार निकल गया और 90.05 के ऐतिहासिक निचले स्तर तक फिसल गया। यह गिरावट केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उन आर्थिक चुनौतियों का संकेत है जिनसे भारतीय बाजार इस समय गुजर रहा है। 90 का स्तर अपने आप में एक मनोवैज्ञानिक बाधा मानी जाती थी, और इसके टूटते ही रुपये की कमजोरी ने एक नया दौर पकड़ लिया।

रुपये की गिरती रफ्तार मंगलवार को ही साफ दिख गई थी, जब उसने 89.94 के स्तर को छूकर बाजार में हलचल पैदा कर दी थी। इंटरबैंक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर तो यह लेवल 90 से भी पार चला गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) पिछले कई दिनों से बाजार में सक्रिय हस्तक्षेप कर रुपये को स्थिर करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पांच लगातार सत्रों की गिरावट ने यह साफ कर दिया कि वैश्विक और घरेलू दबावों के आगे रुपया टिक नहीं पा रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि रुपया 88.80 के नीचे जाते ही उसकी तकनीकी मजबूती टूट गई थी। यह वह स्तर था जिसे बाजार “अंतिम महत्वपूर्ण सपोर्ट” मान रहा था। इस बिंदु के नीचे जाने के बाद रुपये पर लगातार बिकवाली और दबाव बढ़ता चला गया। आयातकों द्वारा लगातार डॉलर खरीदारी, कमजोर पूंजी प्रवाह और विदेशी निवेशकों का भारी निकासी (FPI Outflow) इन तीनों ने मिलकर रुपये की कमजोरी को और गहरा किया है।

रुपये की गिरावट के पीछे असली वजह क्या है?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस बड़ी गिरावट का सबसे बड़ा कारण डॉलर की बढ़ती मांग और सट्टेबाजों द्वारा की जा रही शॉर्ट-कवरिंग है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि सरकार और RBI एक्सपोर्टर्स को बढ़ावा देना चाहते हैं, और बीते कुछ दिनों में बैंकों द्वारा लगातार डॉलर खरीदे जाने से मांग और तेज़ हो गई है।

उन्होंने बताया कि मंगलवार को नैशनलाइज्ड बैंकों ने ऊँचे स्तर पर बड़ी मात्रा में डॉलर खरीदे, जिससे रुपये पर नकारात्मक असर पड़ा। भंसाली का यह भी दावा है कि अगर RBI का समर्थन कमजोर पड़ता है, तो रुपया इस चक्र में 91 के स्तर तक भी जा सकता है। ऐसी स्थिति में आयात बिल और महंगाई पर भी असर पड़ना तय है।

वैश्विक संकेत भी रुपये के खिलाफ
हालांकि डॉलर इंडेक्स में हल्की गिरावट देखने को मिली है और यह 99.22 के आसपास ट्रेड कर रहा है, लेकिन वैश्विक हालात अभी भी रुपये के पक्ष में नहीं हैं। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक बातचीत में रुकावट ने बाजार में नई अनिश्चितता जोड़ दी है। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा लगातार शेयरों की बिकवाली – मंगलवार को 3,642 करोड़ रुपये की, जिसने रुपये को और कमजोर किया। ऊर्जा बाजार में भी हलचल है। ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 62.43 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है। यह स्तर भले कम हो, लेकिन भारत जैसे आयात-निर्भर देश के लिए हर उतार-चढ़ाव रुपये को प्रभावित करता है।

RBI की MPC बैठक और बाजार की चिंता
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक बुधवार से शुरू हुई है और ब्याज दरों पर फैसला 5 दिसंबर को आएगा। यह फैसला अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 10 दिसंबर की बैठक से पहले आएगा, इसलिए इसका असर बाजार पर और भी महत्वपूर्ण होगा। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि RBI दरों में कटौती करता है, तो रुपये में बिकवाली बढ़ने की संभावना और तेज़ हो जाएगी।

भविष्य की राह
रुपये की गिरावट अभी रुकी नहीं है। बाज़ार में यह भावना बन चुकी है कि RBI केवल सीमित दायरे में ही हस्तक्षेप करेगा, क्योंकि बहुत ज्यादा डॉलर बेचने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में विदेशी निवेश, तेल की कीमतें और फेड की दरों पर फैसला – तीनों मिलकर रुपये की दिशा तय करेंगे। फिलहाल इतना तय है कि 90 का स्तर टूटना भारतीय मुद्रा के लिए एक अहम मोड़ है। यदि वैश्विक माहौल और घरेलू कारक सुधार नहीं दिखाते, तो रुपया अपनी कमजोरी का सिलसिला आगे भी जारी रख सकता है।

TAGGED:Currency UpdateDollar vs RupeeFeaturedForex MarketIndian EconomyIndustrial EmpireRupee Crash
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