The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
Monday, Aug 25, 2025
Facebook X-twitter Youtube Linkedin
  • About Us
  • Contact Us
Subscribe
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
    • रिन्यूएबल एनर्जी
    • नॉन रिन्यूएबल एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Font ResizerAa
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & InnovationThe Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Search
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
    • रिन्यूएबल एनर्जी
    • नॉन रिन्यूएबल एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2025 The Industrial Empire. All Rights Reserved.
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अन्य > संघर्ष विराम का असर: रुपये ने दर्ज की एक महीने की सबसे बड़ी छलांग
अन्य

संघर्ष विराम का असर: रुपये ने दर्ज की एक महीने की सबसे बड़ी छलांग

Last updated: 25/06/2025 6:26 PM
By
Industrial Empire
Share
SHARE

ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव में अचानक ठहराव आने से न केवल भू-राजनीतिक हलकों में हलचल मची, बल्कि इसका असर सीधे भारतीय वित्तीय बाजारों पर भी दिखा। मंगलवार को रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक महीने की सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की, जिससे संकेत मिलता है कि वैश्विक स्तर पर शांति की दिशा में उठाए गए कदमों का सीधा असर घरेलू बाजारों पर पड़ता है।

कारोबारी सत्र में रुपया 85.97 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जबकि सोमवार को यह 86.75 पर था। यानी एक दिन में ही रुपये ने करीब 0.91 प्रतिशत की छलांग लगाई। यह इस कैलेंडर वर्ष की दूसरी सबसे बड़ी दैनिक बढ़त है। इससे पहले 23 मई को रुपया 0.93 प्रतिशत मजबूत हुआ था। मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि संघर्ष विराम के अलावा कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और डॉलर सूचकांक में कमजोरी ने भी रुपये को सहारा दिया।

एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने बताया कि जब ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आईं और डॉलर सूचकांक में कमजोरी दिखी, तो रुपये पर बना दबाव पूरी तरह खत्म हो गया। उन्होंने कहा, “ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम की घोषणा के बाद निवेशकों का भरोसा बढ़ा और उन्होंने रुपये में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी।”

घोषणा का असर सिर्फ मुद्रा बाजार तक ही सीमित नहीं रहा। घरेलू शेयर बाजारों में भी इस खबर का तत्काल सकारात्मक प्रभाव देखा गया। बीएसई सेंसेक्स एक समय 83,018 के स्तर तक पहुंच गया। हालांकि अंत में यह 158 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 82,055 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी ने भी कारोबार के दौरान 25,318 का नौ महीने का उच्चतम स्तर छूने के बाद 25,044 पर क्लोजिंग दी।

हालांकि बाजार की यह खुशी ज्यादा देर टिक नहीं पाई। संघर्ष विराम की घोषणा के तुरंत बाद इजरायल ने ईरान पर उसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिससे बाजार में कुछ हद तक अनिश्चितता लौट आई। बावजूद इसके रुपये की मजबूती एक सकारात्मक संकेत है।

मौजूदा वित्त वर्ष में डॉलर की तुलना में रुपया अब तक 0.5 प्रतिशत मजबूत हुआ है जबकि पूरे कैलेंडर वर्ष की बात करें तो यह 0.4 प्रतिशत कमजोर हुआ है। लेकिन मौजूदा संकेतकों को देखते हुए विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपया और मजबूती हासिल कर सकता है।

मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 15 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई और यह 69 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया। इसी तरह डॉलर सूचकांक 0.2 प्रतिशत लुढ़क कर 98 पर आ गया। यह सूचकांक छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है। मेकलाई फाइनैंशियल सर्विसेस के उपाध्यक्ष ऋतेश भंसाली ने कहा, “रुपये के लिए 85.80 एक मजबूत सपोर्ट लेवल है। अगर यह स्तर टूटता है, तो रुपये में और मजबूती देखी जा सकती है। हालांकि अगर यह 86.70 के पार गया तो 87.20 तक जा सकता है, मगर उससे ऊपर नहीं।”

देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी रुपये को स्थिरता देने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। फिलहाल भारत का फॉरेन रिजर्व 699 अरब डॉलर है, जो पिछले साल सितंबर में रिकॉर्ड 705 अरब डॉलर था। इसके अलावा एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेस का IPO, एफटीएसई में पुनर्संतुलन (rebalancing) और एसबीआई का 25,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी जैसे कारक भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे रुपये को और बल मिलेगा। संक्षेप में कहा जाए तो वैश्विक राजनीति की करवट और आर्थिक परिस्थितियों के मेल से भारतीय रुपया फिलहाल फायदे की स्थिति में है, मगर यह टिकाऊ कितना रहेगा इसका जवाब आने वाले सप्ताह तय करेंगे।

TAGGED:Industrial EmpireIranIsraelCeasefireOilPricesCrashReliefRallyRupeeSurgeWorldWarIIIईरान-इजरायल जंग
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article मुंह से बोलकर हो जाएगा रेलवे का टिकट बुक, जानें सारा प्रोसेस
Next Article अडानी समूह का 100 अरब डॉलर का मेगा मिशन
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

अन्य

अमेरिका-वियतनाम डील का भारत पर असर: फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर मंडराया खतरा!

By
Industrial Empire
मेट गाला 2025 में पारंपरिक पंजाबी लुक में दिलजीत दोसांझ मूंछों पर ताव देते हुए, शहनाज गिल के वायरल रिएक्शन के साथ
अन्य

मूंछों पर ताव देते दिलजीत को देख शहनाज ने जताया गर्व, मेट गाला में छाए पंजाबी स्टार

By
Industrial Empire
बैंकिंग

फर्जी आधार के सहारे बीमा पॉलिसी क्लेम में हो रहा घोटाला

By
Industrial Empire
अन्य

डाकघरों में डिजिटल पेमेंट की सुविधा: अब ऐप बताएगा कम टोल वाला रास्ता, जानें ये बदलाव

By
Industrial Empire
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
Facebook X-twitter Youtube Linkedin

Quick links

  • About Us
  • Contact Us
Categories
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य

Policies

  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions

Copyright © 2025 The Industial Empire. All Rights Reserved.

Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?