झाड़ू हर घर, दुकान, फैक्ट्री और संस्थान की ज़रूरत है। इसकी मांग न केवल शहरों में है, बल्कि गांव-देहात में भी रोजमर्रा के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। ऐसे में यह कम लागत वाला, लेकिन लगातार चलने वाला बिज़नेस है जिसे छोटे शहरों और कस्बों में शुरू करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। खास बात यह है कि इस उद्योग में कच्चा माल आसानी से मिल जाता है और इसे महिलाएं, युवाएं या रिटायर्ड लोग भी कम पूंजी में शुरू कर सकते हैं।
बिज़नेस की शुरुआत: कहां और कैसे करें?
झाड़ू बनाने के दो प्रमुख तरीके हैं –
- हाथ से बनी घास की झाड़ू (फूल झाड़ू)
- प्लास्टिक स्टिक वाली झाड़ू (घरेलू एवं इंडस्ट्रियल यूज़ के लिए)
क्या चाहिए?
- 150 से 200 वर्गफुट की जगह
- बेंत/साबई घास या प्लास्टिक रॉड
- नायलॉन धागा, तार, पैकिंग सामग्री
- 1–2 प्रशिक्षित कर्मचारी या घरेलू महिला समूह
यदि मशीन से झाड़ू बनाना चाहें तो बेसिक semi-automatic broom binding machine ₹30,000–₹50,000 में मिल जाती है।
कितने निवेश में शुरू हो सकता है?
खर्च का मद | अनुमानित लागत (₹) |
---|---|
कच्चा माल (1000 यूनिट के लिए) | ₹15,000 |
मशीन/उपकरण | ₹30,000 – ₹50,000 |
मजदूरी / पैकेजिंग | ₹5,000 |
किराया / अन्य खर्च | ₹5,000 |
कुल शुरुआती निवेश | ₹50,000 – ₹1,00,000 |
बिना मशीन के शुरू करें | ₹25,000 से भी संभव |
झाड़ू से मुनाफा कैसे कमाएं?
- एक सामान्य झाड़ू बनाने में लागत ₹10–12 आती है
- बाजार में यह ₹20–30 में बिकती है
- यानी प्रति झाड़ू ₹8–₹15 तक मुनाफा
- 100 झाड़ू/दिन बनाकर महीने में 2500–3000 झाड़ू बिके तो
मासिक मुनाफा ₹20,000–₹40,000 तक संभव है। यदि आप bulk सप्लाई (होटल, अस्पताल, स्कूल, NGO आदि) करते हैं, तो मुनाफा और भी बढ़ सकता है।
बाजार और मार्केटिंग रणनीति
छोटे शहरों में मार्केटिंग का तरीका अलग होता है। नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं:
स्थानीय विक्रय:
- किराना दुकानों, हार्डवेयर शॉप्स, हाट-बाजार में सप्लाई
- प्राइवेट स्कूल, हॉस्पिटल, मंदिर आदि में कॉन्ट्रैक्ट सप्लाई
डिजिटल प्रचार:
- WhatsApp स्टेटस, Facebook Marketplace, लोकल इंस्टा पेज
- Google Business Profile पर दुकान/सर्विस जोड़ें
थोक ग्राहक:
- ग्रामीण आजीविका मिशन, NGO, महिला SHG ग्रुप, होलसेल मंडी
- पंचायत भवन, नगर पालिका जैसे संस्थानों से संपर्क करें
एक अच्छा पैकिंग ब्रांड नाम और स्थायी सप्लाई समय आपकी पहचान मजबूत करता है।
सरकारी मदद और लोन योजनाएं
- PMEGP (Prime Minister Employment Generation Programme)
o ₹25 लाख तक की सहायता (शहरी क्षेत्र में 15%, ग्रामीण में 25% सब्सिडी)
o KVIC और जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से आवेदन करें - Mudra Loan (Micro units Development and Refinance Agency)
o शिशु लोन श्रेणी में ₹50,000 तक लोन मिल सकता है
o कोई गारंटी नहीं लगती, और आसान प्रक्रिया है - NSIC & MSME रजिस्ट्रेशन – मशीनरी और कच्चे माल पर रियायतें मिलती हैं
एक सफल उदाहरण: रेखा देवी की कहानी
बिहार के नालंदा जिले की रेखा देवी ने 2021 में 3 महिलाओं के साथ सिर्फ ₹35,000 में यह काम शुरू किया। पहले दिन 50 झाड़ू बनाई और हाट बाजार में बेचीं। आज उनका यूनिट महीने में 3000 से ज्यादा झाड़ू बनाता है। वे लोकल स्कूलों, दुकानों और एक NGO को सप्लाई करती हैं और हर महीने ₹30,000 से ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं।
एक सरल आइडिया, बड़ा बदलाव
झाड़ू बनाना एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत, कम तकनीकी जटिलता और निरंतर मांग है। छोटे शहरों और कस्बों में इस काम की सबसे बड़ी ताकत है – स्थानीय कनेक्शन और भरोसेमंद सेवा। यह बिज़नेस न केवल एक आय का साधन है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत क़दम भी। तो अगर आप स्वरोजगार की राह पर बढ़ना चाहते हैं, तो झाड़ू बनाने का यह छोटा कदम – आपके लिए एक बड़ा मौका बन सकता है।