EFTA यानी European Free Trade Association एक चार देशों का व्यापारिक समूह है, जिसमें आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। इन देशों का मुख्य उद्देश्य वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना है। भारत और EFTA के बीच ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (TEPA) पर मार्च 2024 में समझौता हुआ था, जो अब अक्टूबर 2025 से लागू होगा।
समझौते से भारत को क्या मिलेगा?
इस ऐतिहासिक समझौते के तहत अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आने की संभावना जताई गई है। इससे करीब 10 लाख नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। यह भारत के युवाओं और उद्योग जगत दोनों के लिए एक बड़ा अवसर होगा।
स्विस घड़ियां और चॉकलेट होंगी सस्ती
समझौते के अनुसार, EFTA देशों को भारत में शुल्क-मुक्त बाजार मिलेगा। यानी अब स्विट्जरलैंड की मशहूर घड़ियों, चॉकलेट और अन्य उत्पादों पर आयात कर नहीं लगेगा, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को ये सामान पहले से सस्ते मिलेंगे।
स्विट्जरलैंड की स्वीकृति: एक लोकतांत्रिक मिसाल
स्विट्जरलैंड की राजदूत माया तिस्साफी ने बताया कि उनके देश ने इस समझौते को बिना किसी जनमत संग्रह के “मौन स्वीकृति” देकर स्वीकार किया है। यह स्विस लोकतंत्र की एक खास शैली है। स्विस संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन के बाद अब सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।
अब आगे क्या?
अब भारत और EFTA देशों के बीच सहयोग को औपचारिक रूप से शुरू करने के लिए ओस्लो (नॉर्वे की राजधानी) में दस्तावेज़ जमा किए जाएंगे। इसके बाद यह समझौता प्रभावी रूप से अक्टूबर 2025 से लागू हो जाएगा। यह समझौता भारत की वैश्विक साख को मजबूत करेगा, साथ ही व्यापार और निवेश के क्षेत्र में एक नई रफ्तार और नए अवसर लेकर आएगा।