पाकिस्तान की टेक इंडस्ट्री के लिए एक झटका देने वाली खबर सामने आई है। दुनिया की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने पाकिस्तान में अपने 25 साल पुराने संचालन को लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया है। अब देश में केवल एक छोटा-सा ऑफिस बचा है, जिसमें सिर्फ पांच कर्मचारी कार्यरत हैं। यह स्थिति सिर्फ कॉर्पोरेट निर्णय नहीं, बल्कि पाकिस्तान के व्यवसायिक और राजनीतिक माहौल पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
शुरुआत जहां से हुई थी, वहीं पर समाप्ति
साल 1999 में माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने ऑपरेशन की शुरुआत की थी। उस समय कंपनी के प्रमुख प्रतिनिधियों में से एक जव्वाद रहमान थे, जिन्हें माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान के संस्थापक सदस्यों में गिना जाता है। उन्होंने ही हाल ही में LinkedIn पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए जानकारी दी कि माइक्रोसॉफ्ट अब पाकिस्तान से पूरी तरह हट चुका है। उन्होंने लिखा, “एक युग समाप्त हो गया है।” जव्वाद ने बताया कि 25 साल पहले जून के महीने में ही उन्हें माइक्रोसॉफ्ट को पाकिस्तान में लॉन्च करने की जिम्मेदारी मिली थी। आज जब यह ऑपरेशन बंद हो रहा है तो यह न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से भावुक कर देने वाला पल है, बल्कि देश के विकास मॉडल और नीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
माइक्रोसॉफ्ट की जाने की असली वजह?
माइक्रोसॉफ्ट की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रहमान की पोस्ट और टेक रडार जैसी टेक साइट्स की रिपोर्ट्स से यह संकेत मिलता है कि कंपनी ने स्थानीय परिस्थितियों की वजह से यह कदम उठाया है। रहमान ने अपने पोस्ट में लिखा, “यह उस माहौल का परिणाम है जो हमने देश में बनाया है। एक ऐसा माहौल जिसमें माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी को भी अस्थिरता नजर आती है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पाकिस्तान की नीतियों और दृष्टिकोण में आखिर ऐसा क्या है जो वैश्विक टेक कंपनियों को यहां काम करने से पीछे हटा रहा है? रहमान का कहना है कि जब कोई देश अपने पास मौजूद संसाधनों और अवसरों की कदर करना भूल जाता है, तो समय खुद उनसे ये चीजें वापस ले लेता है।
क्या यह सिर्फ एक कारोबारी फैसला है?
माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार है, जिसका संचालन 190 से भी ज्यादा देशों में फैला हुआ है। क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर हर क्षेत्र में कंपनी की मजबूत पकड़ है। विंडोज, ऑफिस, ऐज जैसे उत्पादों का इस्तेमाल पूरी दुनिया में होता है। ऐसे में पाकिस्तान जैसे देश से कंपनी का जाना सिर्फ एक आर्थिक या रणनीतिक फैसला नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी देता है।
आईटी सेक्टर के लिए एक चेतावनी
पाकिस्तान के लिए यह खबर एक जागरूकता का संकेत होनी चाहिए। एक ऐसा समय जब भारत समेत अन्य पड़ोसी देश आईटी और टेक इन्वेस्टमेंट को लेकर वैश्विक कंपनियों को आकर्षित कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान से माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज का हटना स्थिरता, नीति निर्माण और तकनीकी बुनियादी ढांचे की कमजोरी को उजागर करता है। रहमान ने अपने एक अन्य पोस्ट में पाकिस्तान सरकार और आईटी मंत्री से अपील की है कि वे माइक्रोसॉफ्ट के रीजनल और ग्लोबल लीडर्स से संपर्क करें और उन्हें पाकिस्तान में निवेश बनाए रखने के लिए मनाएं। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए नीति-निर्माताओं को ईमानदारी और दूरदृष्टि के साथ काम करना होगा।
माइक्रोसॉफ्ट का पाकिस्तान से जाना यह दर्शाता है कि अगर स्थिर कारोबारी माहौल, नीति समर्थन और नवाचार की कद्र नहीं की जाती तो वैश्विक कंपनियां विदाई लेती रहेंगी। यह वक्त पाकिस्तान के लिए आत्ममंथन का है कि कहीं वह अपने ही बनाए तंत्र में विकास के अवसर खो तो नहीं रहा? यह घटना न केवल पाकिस्तान की आईटी इंडस्ट्री के लिए चेतावनी है बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए भी एक सबक है कि ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सिर्फ बड़ी कंपनियों के नेटवर्क से नहीं आता वह आता है भरोसे, स्थिरता और अवसर की कद्र करने से।