पंजाब में कपूरथला से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री राणा गुरजीत ने हाल ही में एक खास पहल करते हुए मक्का की खरीद के लिए खुद का डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करना और सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान करना है। यह कदम किसानों के हितों की रक्षा के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित होगा।

भारत में मक्का की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है लेकिन अक्सर किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कई बार बिचौलियों और अव्यवस्थित खरीद प्रणाली के कारण किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। इसी समस्या को देखते हुए विधायक ने इस पोर्टल की शुरुआत की है ताकि मक्का की खरीद प्रक्रिया में किसानों को सीधे लाभ मिल सके और उनके साथ किसी प्रकार का शोषण न हो।
इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी मक्का की उपज को ऑनलाइन पंजीकृत कर सकेंगे। इसके बाद सरकार या संबंधित एजेंसियां किसानों से मक्का की खरीद सीधे इस पोर्टल के जरिए करेंगी। इससे किसानों को न केवल उचित MSP मिलेगा बल्कि भुगतान भी तुरंत उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा। इस तरह की व्यवस्था से किसानों को लेन-देन में होने वाले झंझटों से छुटकारा मिलेगा और उन्हें आर्थिक स्थिरता मिलेगी।
विधायक ने इस योजना के तहत किसानों को आश्वासन दिया है कि वे उनकी समस्याओं को समझते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के जरिए बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान सीधे सरकारी खरीद से जुड़कर अपने उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त करेंगे। यह डिजिटल पहल ग्रामीण इलाकों में तकनीकी सुधार को भी बढ़ावा देगी और किसानों को स्मार्ट खेती की ओर प्रेरित करेगी।
इस पोर्टल की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से आसान और यूजर-फ्रेंडली होगा ताकि सभी किसान आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें। इसके अलावा किसानों को पोर्टल के इस्तेमाल के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण और सहायता भी प्रदान की जाएगी ताकि वे पूरी प्रक्रिया को समझकर इसका लाभ उठा सकें।
किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने और उनकी आजीविका सुधारने के लिए यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है। MSP पर मक्का खरीद के लिए यह डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल किसानों को उनका हक दिलाएगा बल्कि कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ाएगा। यह कदम भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक मील का पत्थर साबित होगा।