प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की है, जो भारतीय कृषि को एक नई दिशा देने का लक्ष्य रखती है। यह पहल है – राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission – NNFM), जिसका उद्देश्य है खेती को टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल और किसानों के लिए अधिक लाभदायक बनाना।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
इस मिशन का मूल उद्देश्य है किसानों की खेती लागत को घटाना और मुनाफे को बढ़ाना। साथ ही, यह मिशन मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और पर्यावरण-संरक्षण को बढ़ावा देने जैसे कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों की पूर्ति करेगा। प्राकृतिक खेती की यह पद्धति रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से परे जाकर देसी संसाधनों जैसे गौमूत्र, गोबर, नीम आदि के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करती है। इससे जहां खेती सस्ती होती है, वहीं उत्पाद भी अधिक पौष्टिक और सुरक्षित होते हैं।
कब मिली मिशन को मंजूरी?
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को 25 नवंबर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। इसे 15वें वित्त आयोग चक्र (2025–26) के अंत तक एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। मिशन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह खेती के मौजूदा ढांचे में परिवर्तन लाकर उसे ज्यादा टिकाऊ बना सके।
केंद्रीय कृषि मंत्री का बयान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मिशन के लॉन्च की जानकारी देते हुए बताया कि यह पहल केंद्र सरकार की पर्यावरण-जिम्मेदार और किसानों के हितों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारतीय कृषि को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर सतत कृषि के क्षेत्र में भारत की अगुवाई सुनिश्चित करेगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की भूमिका
यह ऐतिहासिक लॉन्च दिल्ली के पूसा स्थित ICAR परिसर में किया जाएगा। ICAR ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसकी तैयारी शुरू कर दी है। संस्थान का फोकस है – प्राकृतिक खेती को देशभर में लोकप्रिय बनाना, साथ ही जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकटों का समाधान ढूंढ़ना।
‘विजय पर्व’ थीम पर होगा विशेष अभियान
मिशन की सफलता को व्यापक रूप से प्रचारित करने के लिए सरकार 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाएगी, जो “विजय पर्व” थीम पर आधारित होगा। इस अभियान के माध्यम से मिशन की जानकारी किसानों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं तक पहुंचाई जाएगी, जिससे इसका अधिक प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
प्राकृतिक खेती क्या है?
प्राकृतिक खेती एक ऐसी खेती प्रणाली है जो पूरी तरह से रासायनिक-रहित होती है। इसमें जैविक इनपुट्स जैसे गोबर, गोमूत्र, नीम की खली, और विभिन्न देसी नुस्खों का उपयोग होता है। यह पद्धति ना केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को भी बढ़ाती है।
किसानों के लिए क्या हैं फायदे?
1 – खर्च में कटौती
प्राकृतिक खेती में बाहरी इनपुट्स की आवश्यकता न के बराबर होती है। रासायनिक उर्वरकों और महंगे कीटनाशकों की जगह स्थानीय, पारंपरिक उपायों से काम चलता है, जिससे खेती की लागत काफी घट जाती है।
2 – कर्ज का बोझ कम
कम लागत की वजह से किसानों को बैंक या साहूकार से कर्ज लेने की जरूरत कम पड़ती है, जिससे वे कर्ज के जाल से बच सकते हैं।
3 – मुनाफे में वृद्धि
कम लागत और बेहतर गुणवत्ता के चलते बाजार में उपज का अच्छा दाम मिलता है, जिससे किसानों की आय में सीधा इजाफा होता है।
4 – स्वस्थ पर्यावरण और उपभोक्ता
प्राकृतिक खेती से उपजाए गए अनाज और सब्जियां जहरीले रसायनों से मुक्त होती हैं, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। साथ ही, ये पद्धति जल, मृदा और जैव विविधता की रक्षा भी करती है।
एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि कृषि के भविष्य का रोडमैप है। यह न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि भारत को सतत विकास के रास्ते पर ले जाने में भी मील का पत्थर साबित होगा। आज जब पूरी दुनिया जलवायु संकट और पर्यावरणीय क्षरण का सामना कर रही है, ऐसे समय में यह पहल भारत को हरित, समृद्ध और लचीला कृषि तंत्र प्रदान करने में निर्णायक साबित हो सकती है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता और किसानों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अब वक्त है कि हर किसान, हर पंचायत और हर नीति-निर्माता इस मिशन को अपनाएं और “कम लागत, अधिक मुनाफा, हरित भारत” के इस सपने को साकार करें।