देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने एक नया सुझाव दिया है जिससे ग्रामीण भारत में इंटरनेट सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके। इन कंपनियों का कहना है कि ओटीटी ऐप्स जैसे यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और अन्य डिजिटल कंटेंट प्लेटफॉर्म से एक निश्चित शुल्क लिया जाए। इस शुल्क का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

टेलीकॉम कंपनियों के अनुसार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर डेटा की खपत लगातार बढ़ रही है और इनका एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट नेटवर्क पर दबाव बनाता है। जबकि टेलीकॉम ऑपरेटर ही वह ढांचा तैयार करते हैं जिसके जरिए ये ऐप्स ग्राहकों तक पहुँचते हैं लेकिन बदले में उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता। कंपनियों का मानना है कि जब ये ऐप्स भारी मुनाफा कमा रही है तो नेटवर्क के विकास और रखरखाव में उनका योगदान भी जरूरी है।
भारत के लाखों गांवों में आज भी तेज और स्थिर इंटरनेट सेवा की कमी है। स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और छोटे व्यवसाय डिजिटल कनेक्टिविटी पर निर्भर होते जा रहे हैं लेकिन खराब नेटवर्क के कारण वे पीछे रह जाते हैं। अगर ओटीटी कंपनियों से एक ‘नेटवर्क उपयोग शुल्क’ वसूला जाए तो उस राशि से गांवों में 4G और 5G नेटवर्क के विस्तार में मदद मिल सकती है।
हालांकि यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक स्तर पर है और इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। ओटीटी कंपनियों का तर्क है कि वे पहले से ही कंटेंट निर्माण में भारी निवेश करती हैं और अगर उन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया तो इससे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा। वहीं टेलीकॉम कंपनियां इसे डिजिटल समावेशन और ग्रामीण विकास के लिए जरूरी कदम मानती हैं।
इस पूरे मामले पर सरकार और ट्राई (TRAI) की भूमिका अहम होगी जो संतुलन बनाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि एक ओर डिजिटल सेवाओं का विस्तार हो और दूसरी ओर उपभोक्ताओं और स्टार्टअप्स पर अनावश्यक बोझ न पड़े। इस पहल का उद्देश्य केवल टेलीकॉम कंपनियों का मुनाफा बढ़ाना नहीं बल्कि भारत के हर कोने में डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करना है जिससे ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना वास्तव में साकार हो सके।