साल 2026 की शुरुआत उपभोक्ताओं के लिए महंगी साबित हो सकती है। अगर आप जनवरी में नया TV (टेलीविजन) खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इंडस्ट्री से जुड़े संकेत बता रहे हैं कि नए साल से टीवी की कीमतों में 3 से 4 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके पीछे दो बड़ी वजहें सामने आ रही हैं – मेमोरी चिप्स की बढ़ती कीमतें और भारतीय रुपये की कमजोरी।
रुपये की कमजोरी ने बढ़ाई निर्माताओं की परेशानी
हाल ही में भारतीय रुपया पहली बार 90 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया। रुपये के इस कमजोर होने का सीधा असर उन उद्योगों पर पड़ रहा है, जो बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर हैं। टेलीविजन इंडस्ट्री भी उन्हीं में से एक है।
दरअसल, भारत में बनने वाले एलईडी टीवी में केवल करीब 30 फीसदी पुर्जे ही देश में तैयार होते हैं। बाकी प्रमुख कंपोनेंट्स – जैसे ओपन सेल, सेमीकंडक्टर चिप्स, मेमोरी और मदरबोर्ड – विदेशों से आयात किए जाते हैं। रुपये के कमजोर होते ही इन पुर्जों की लागत बढ़ जाती है, जिसका बोझ आखिरकार उपभोक्ताओं पर डालना पड़ता है।
मेमोरी चिप संकट ने बढ़ाई लागत
रुपये की कमजोरी के साथ-साथ मेमोरी चिप संकट ने स्थिति को और ज्यादा गंभीर बना दिया है। दुनियाभर में इस समय एआई सर्वर और डेटा सेंटर्स के लिए हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) की जबरदस्त मांग है।
इस बढ़ती मांग के कारण चिप निर्माता कंपनियां अब ज्यादा मुनाफा देने वाले एआई से जुड़े सेगमेंट पर फोकस कर रही हैं। नतीजतन, टीवी, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए इस्तेमाल होने वाली DRAM और फ्लैश मेमोरी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। कम सप्लाई और ज्यादा मांग के कारण मेमोरी चिप्स की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है।
इंडस्ट्री लीडर्स ने दी कीमत बढ़ने की चेतावनी
हायर अप्लायंसेज इंडिया के अध्यक्ष एन एस सतीश का कहना है कि मेमोरी चिप की कमी और कमजोर रुपये के कारण एलईडी टीवी की कीमतों में करीब 3 फीसदी की बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। उन्होंने बताया कि कई टीवी निर्माता कंपनियों ने अपने डीलरों को संभावित कीमत बढ़ोतरी के संकेत पहले ही दे दिए हैं, ताकि बाजार इसके लिए तैयार रहे।
कीमतें 7 से 10 फीसदी तक बढ़ने की आशंका
कुछ कंपनियों का मानना है कि असर इससे भी ज्यादा हो सकता है। सुपर प्लास्ट्रोनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (SPPL), जो थॉमसन, कोडक और ब्लाउपंक्ट जैसे बड़े ब्रांड्स के टीवी बनाती है, ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई है।
कंपनी के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में मेमोरी चिप्स की कीमतों में करीब 500 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उनका कहना है कि अगर यही हालात बने रहे, तो जनवरी से टीवी की कीमतों में 7 से 10 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए क्यों बढ़ेगी चिंता?
त्योहारी सीजन के बाद आमतौर पर उपभोक्ता नए साल में इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदने की योजना बनाते हैं। लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी का यह दौर ग्राहकों के बजट पर सीधा असर डाल सकता है। खासतौर पर मिड-रेंज और बजट सेगमेंट के टीवी खरीदारों को ज्यादा झटका लग सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां फिलहाल लागत बढ़ने के बावजूद कीमतें सीमित दायरे में रखने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अगर चिप संकट और मुद्रा दबाव लंबे समय तक बना रहा, तो आगे और महंगाई देखने को मिल सकती है।
क्या करें ग्राहक?
अगर आप टीवी खरीदने का मन बना रहे हैं, तो दिसंबर के ऑफर्स और ईयर-एंड सेल्स आपके लिए बेहतर मौका हो सकते हैं। वहीं, जनवरी के बाद बाजार में नए मॉडल्स के साथ कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। कुल मिलाकर, कमजोर रुपया और वैश्विक चिप संकट ने टीवी इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिसका असर सीधे तौर पर आम उपभोक्ता की जेब पर पड़ने वाला है।