नई दिल्ली। अब निवेशक ब्रोकिंग ऐप्स डाउनलोड करते समय यह सोचने को मजबूर नहीं होंगे कि कौन सी ऐप असली है और कौन सी फर्जी। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बड़ी पहल की है। जल्द ही गूगल प्ले स्टोर पर रजिस्टर्ड ब्रोकिंग ऐप्स के नाम के आगे वेरिफिकेशन टिक मार्क दिखेगा। यह कदम निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
SEBI और गूगल की साझेदारी: निवेशकों की सुरक्षा पर फोकस
SEBI के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने शनिवार को मुंबई में आयोजित बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर्स फोरम के कैपिटल मार्केट कॉन्फ्लुएंस में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि SEBI ने गूगल से अनुरोध किया है कि वह भारतीय बाजार में रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के ऐप्स को वेरिफिकेशन टिक प्रदान करे ताकि निवेशक भरोसेमंद ऐप्स को आसानी से पहचान सकें।
गूगल ने SEBI के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अगले दो महीनों में यह सुविधा गूगल प्ले स्टोर पर शुरू हो जाएगी। यानी जब भी कोई निवेशक किसी स्टॉक ब्रोकिंग ऐप को डाउनलोड करेगा, तो उसके साथ एक नीला टिक मार्क दिखाई देगा, जो यह दर्शाएगा कि वह ऐप SEBI से रजिस्टर्ड और ऑथेंटिक है।
फर्जी ऐप्स और धोखाधड़ी पर सख्ती
पिछले कुछ वर्षों में निवेशकों को झांसा देने वाली फर्जी ब्रोकिंग ऐप्स की संख्या बढ़ी है। ये ऐप्स लोगों के पैसे और व्यक्तिगत डेटा से खिलवाड़ करती हैं। SEBI की नई पहल से अब ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सकेगी। कमलेश वार्ष्णेय ने कहा, “हमारा उद्देश्य निवेशकों को एक सुरक्षित और पारदर्शी निवेश माहौल देना है। वेरिफिकेशन टिक से यह स्पष्ट होगा कि कौन सी ऐप असली है और कौन सी नहीं।” इस कदम से निवेशकों में विश्वास बढ़ेगा, साथ ही फ्रॉड ऐप्स को बाजार से बाहर करने में मदद मिलेगी।
फ्रॉड रोकने के लिए अन्य पहलें भी जारी
SEBI केवल ब्रोकिंग ऐप्स तक सीमित नहीं है। निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए कई और पहलें भी की जा रही हैं। इनमें प्रमुख हैं –
– वैलिड UPI पहल: जिससे निवेशकों के फंड ट्रांसफर को सुरक्षित बनाया जा रहा है।
– SEBI वर्सेज स्कैम’ अभियान: यह जागरूकता कार्यक्रम निवेशकों को फर्जी निवेश योजनाओं और धोखाधड़ी से बचने के तरीके बताता है।
इन पहलों का उद्देश्य निवेशकों को जागरूक और सशक्त बनाना है, ताकि वे डिजिटल निवेश की दुनिया में सतर्क रह सकें।
कमोडिटी मार्केट को मजबूत करने की दिशा में प्रयास
SEBI के सदस्य ने कहा कि संस्था कमोडिटी मार्केट को और मजबूत बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। उन्होंने बताया कि इस बाजार में अभी कई चुनौतियां हैं, खासकर स्पॉट ट्रांजैक्शन से जुड़ी। संवैधानिक सीमाओं के कारण यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसके चलते किसानों को तुरंत भुगतान मिलने में दिक्कत होती है।
SEBI का मानना है कि अगर ब्रोकर्स इस दिशा में सहयोग करें, तो कमोडिटी मार्केट की तरलता (Liquidity) बढ़ाई जा सकती है और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सकता है।
एल्गो ट्रेडिंग को लेकर नई उम्मीदें
इसके अलावा, SEBI अब एल्गोरिदमिक (एल्गो) ट्रेडिंग को प्रभावी तरीके से लागू करने पर भी काम कर रहा है। यह ऐसी ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें कंप्यूटर एल्गोरिद्म तय करते हैं कि कब और कैसे स्टॉक खरीदे या बेचे जाएं। कमलेश वार्ष्णेय ने कहा कि एल्गो ट्रेडिंग भविष्य की जरूरत है। हालांकि इसे लागू करने में शुरुआती दिक्कतें आई थीं, लेकिन अब SEBI ने दिसंबर तक सभी चुनौतियों को दूर करने का लक्ष्य रखा है। उनका कहना है कि एल्गो ट्रेडिंग से बाजार में पारदर्शिता और गति दोनों बढ़ेंगी।
निवेशकों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य
SEBI की यह नई पहल न सिर्फ फर्जी ऐप्स पर लगाम लगाएगी, बल्कि निवेशकों के डिजिटल निवेश अनुभव को भी और सुरक्षित बनाएगी। आने वाले समय में जब निवेशक किसी ब्रोकिंग ऐप पर टिक मार्क देखेंगे, तो उन्हें यह भरोसा होगा कि उनका पैसा सही हाथों में है। इस कदम से यह भी साबित होता है कि भारत का पूंजी बाजार अब सिर्फ विकास की ओर नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षा और पारदर्शिता की दिशा में भी मजबूती से बढ़ रहा है।