दीपावली से पहले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। केंद्र सरकार ने विपणन वर्ष 2026-27 के लिए गेहूं सहित 6 प्रमुख रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। इस फैसले से करोड़ों किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। खासकर गेहूं की बुवाई करने वाले किसानों को इस बार ज्यादा रेट पर उपज बेचने का अवसर मिलेगा।
गेहूं का नया समर्थन मूल्य
केंद्रीय मंत्रिमण्डल की बैठक में सरकार ने गेहूं के MSP में 6.59 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जिससे किसानों को पिछले साल की तुलना में प्रति क्विंटल 160 रुपये ज्यादा मिलेंगे। पिछले वर्ष इसका MSP ₹2,425 प्रति क्विंटल था, जो अब बढ़कर ₹2,585 प्रति क्विंटल हो गया है। यह महत्वपूर्ण फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया।
कैबिनेट की बड़ी घोषणा
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह फैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है। सरकार का कहना है कि MSP में यह बढ़ोतरी किसानों की आय को बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए की गई है।
किस फसल पर कितना बढ़ा MSP?
सरकार ने केवल गेहूं ही नहीं, बल्कि छह रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में भी बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी में सबसे अधिक फायदा कुसुम (Sunflower seed) किसानों को हुआ, जिसका MSP ₹600 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। इसके अलावा मसूर का MSP ₹300, रेपसीड और सरसों का ₹250, चना का ₹225, जौ (Barley) का ₹170 और गेहूं का ₹160 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
नया MSP रेट (2026-27)
बढ़ोतरी के बाद अब रबी फसलों के नए MSP रेट इस प्रकार होंगे: जौ का MSP ₹1,980 से बढ़कर ₹2,150 प्रति क्विंटल हो गया है, चने का ₹5,650 से बढ़कर ₹5,875 प्रति क्विंटल, मसूर की दाल का ₹6,700 से बढ़कर ₹7,000 प्रति क्विंटल, रेपसीड और सरसों का ₹5,950 से बढ़कर ₹6,200 प्रति क्विंटल, कुसुम का ₹5,940 से बढ़कर ₹6,540 प्रति क्विंटल और गेहूं का ₹2,425 से बढ़कर ₹2,585 प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
क्या है MSP?
MSP का मतलब न्यूनतम समर्थन मूल्य है। यह किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिलाने और बाजार में कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा तय की गई एक गारंटीकृत न्यूनतम दर है। अगर बाजार में किसानों की फसल की कीमत एमएसपी से कम हो जाती है, तो सरकार तय की गई एमएसपी दर पर किसानों से फसल खरीदती है।
गेहूं उत्पादन का लक्ष्य
सरकार ने 2025-26 फसल वर्ष के लिए गेहूं उत्पादन का 11.9 करोड़ टन का रिकॉर्ड लक्ष्य तय किया है। गौरतलब है कि गेहूं भारत की प्रमुख रबी फसल है। इसकी बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है और कटाई मार्च-अप्रैल में होती है। अप्रैल से जून तक अधिकतर किसानों की उपज की सरकारी खरीद हो जाती है। MSP में वृद्धि से उम्मीद है कि किसान गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए और प्रेरित होंगे।
किसानों के लिए राहत
इस फैसले का सबसे बड़ा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। गेहूं की खेती से जुड़े करोड़ों किसानों को अब अतिरिक्त आय होगी। इसके अलावा दालों और तिलहन पर MSP बढ़ने से भी किसानों को बेहतर दाम मिलेगा। सरकार का मानना है कि इससे फूड सिक्योरिटी को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।
त्योहारी तोहफा
दिवाली से पहले MSP में बढ़ोतरी को किसान समुदाय एक त्योहारी तोहफे के तौर पर देख रहा है। गेहूं के अलावा अन्य रबी फसलों पर भी MSP में इजाफा, खेती-किसानी को मजबूती देगा। आने वाले सीजन में इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा और सरकार के उत्पादन लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।