अमेरिका जिसे दुनिया की सबसे ताकतवर इकोनॉमी कहा जाता है, एक बार फिर मंदी के खतरे की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। लगातार मिल रहे आर्थिक संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह स्थिर नहीं है। अमेरिका का लीडिंग इकनॉमिक इंडेक्स (LEI) मई में लगातार छठे महीने गिरा है। पिछले 39 महीनों में 37 बार इस इंडेक्स में गिरावट देखने को मिली है, जो देश के आर्थिक इतिहास में एक लंबे गिरावट वाले दौर में गिना जा रहा है।
LEI में ऐतिहासिक गिरावट
LEI अब अपने उच्चतम स्तर से करीब 16% नीचे आ चुका है और पिछले 9 सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह तथ्य बेहद चिंताजनक है क्योंकि 1960 के बाद हर बड़ी मंदी से पहले LEI में ऐसी ही लगातार गिरावट दर्ज की गई है। पिछले छह महीनों के दौरान यह इंडेक्स सालाना दर से करीब 5% की गिरावट दर्ज कर चुका है, जो एक गंभीर आर्थिक संकट का संकेत देता है।
अगर अमेरिका फंसा मंदी में, तो दुनिया भी डगमगाएगी
तकनीकी रूप से यदि किसी देश की GDP लगातार दो तिमाहियों तक गिरती है तो उसे मंदी की स्थिति माना जाता है। अमेरिका जैसे देश के मंदी में जाने का असर सिर्फ उसकी सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा, खासकर उन देशों पर जो अमेरिका से व्यापारिक रूप से जुड़े हैं।
फेडरल रिजर्व की सख्त नीति
इस बीच अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने साफ कर दिया है कि फिलहाल ब्याज दरों में किसी भी तरह की कटौती की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि मौजूदा नीतियों का असर देखने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्याज दरें घटाने की मांग की है, जिसे फेड के कुछ अधिकारी भी समर्थन दे रहे हैं। इसके अलावा ट्रंप की टैरिफ नीति का भी आने वाले समय में अमेरिका की आर्थिक सेहत पर असर पड़ सकता है।
LEI में लगातार गिरावट और फेड की सख्त मौद्रिक नीति मिलकर संकेत दे रही हैं कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था फिलहाल संकट के मुहाने पर खड़ी है। यदि जल्द कोई ठोस नीति बदलाव नहीं हुआ तो अमेरिका की आर्थिक सुस्ती पूरी दुनिया को झकझोर सकती है।